सुशांत केस की सीबीआई जांच:शीना बोरा-सुनंदा पुष्कर केस की जांच करने वाले फॉरेंसिक एक्सपर्ट टीम में, सुशांत की मौत का सीन री-क्रिएट किया जाएगा
सीबीआई ने सुशांत डेथ मिस्ट्री की जांच के लिए 10 सदस्यों की एक एसआईटी गठित की है, जो 3 हिस्सों में होगी आत्महत्या के लिए उकसाने की एफआईआर से अलग हत्या का मामला दर्ज करने के लिए सीनियर एडवोकेट ने की अपील
सुशांत केस की सीबीआई जांच के आदेश के बाद ही सीबीआई की टीम एक्टिव हो गई है। ये वो टीम है, जिसने विजय माल्या और अगस्ता वेस्टलैंड जैसे मामलों की जांच की है। अब इस टीम के साथ वो फॉरेंसिक एक्सपर्ट जुड़ गए हैं, जिन्होंने सुनंदा पुष्कर और शीना बोरा जैसे मामलों की जांच की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीबीआई की जांच टीम में अब टॉप फॉरेंसिक डॉक्टर सुधीर गुप्ता भी शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा सीबीआई की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम (एसआईटी) ये पता लगाने की कोशिश करेगी कि सुशांत ने आत्महत्या की थी, या फिर कोई और वजह थी। इसके लिए एसआईटी क्राइम सीन री-क्रिएट करने की कोशिश करेगी। इस दौरान सुशांत की रिपोर्ट के अलावा फॉरेंसिक रिपोर्ट की जांच भी की जाएगी।
कौन हैं डॉ. सुधीर गुप्ता
डॉ. सुधीर गुप्ता दिल्ली एम्स के फॉरेंसिक साइंस विभाग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। डॉ. सुधीर उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने कहा था कि उनपर सुनंदा पुष्कर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हेर-फेर का दबाव बनाया गया था। डॉ. गुप्ता ने 2015 में शीना बोरा हत्याकांड की जांच में सीबीआई का सहयोग किया था। डॉ. गुप्ता ने डॉक्टर्स की टीम के साथ मिलकर शीना की कथित हडि्डयों की दोबारा जांच की थी। अपने 27 साल के कॅरियर में डॉ. गुप्ता 30 से ज्यादा हाई प्रोफाइल मामलों की जांच में सहयोग कर चुके हैं। इनमें नीतीश कटारा मर्डर, जेसिका लाल मर्डर, सुनंदा पुष्कर की मौत, उपहार अग्निकांड और शीना बोरा हत्याकांड प्रमुख रूप से शामिल हैं।
मुंबई पुलिस से एसआईटी ने दस्तावेज मांगे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुंबई में एसआईटी को गुरुवार को पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। बताया ये भी जा रहा है कि टीम ने मुंबई पुलिस से सुशांत केस की फाइल्स और सभी सबूतों भी मांगे हैं। इसके अलावा पहले चरण की जांच में 6 लोगों से सवाल-जवाब किए गए हैं। हालांकि, इस बारे में सीबीआई की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
एसआईटी इसलिए है खास
एसआईटी का नेतृत्व गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर मनोज शशिधर करेंगे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। चार सदस्यों वाली एसआईटी में गगनदीप गंभीर और नुपूर प्रसाद को भी रखा गया है, ताकि महिला आरोपियों से पूछताछ में दिक्कत न हो। इस मामले में अनिल यादव जांच अधिकारी रहेंगे।
- मनोज शशिधर गुजरात कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अफसर हैं। जनवरी में ही सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर बनाए गए हैं। पहले विजय माल्या केस की जांच की निगरानी कर चुके हैं।
- गगनदीप गंभीर गुजरात कैडर की 2004 बैच की आईपीएस अफसर हैं और सीबीआई में उन्हें घोटालों की जांच में महारथी माना जाता है।
- नुपूर प्रसाद 2007 बैच की एजीएमयूटी कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं। सीबीआई की तेजतर्रार महिला अधिकारियों के रूप में गिनी जाती है।
- डीएसपी अनिल कुमार यादव मध्यप्रदेश से हैं। मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले से जुड़े लोगों की मौत की जांच उन्होंने ही की है। यादव कॉमनवेल्थ घोटाले और अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों में भी जांच टीम का हिस्सा रहे हैं।
अब हत्या की एफआईआर दर्ज करवाने अपील
इस बीच एक वरिष्ठ वकील ने सीबीआई प्रमुख को पत्र लिखकर सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच में हत्या के लिए एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया है। वकील अटल बिहारी दुबे ने ट्विटर पर इस पत्र की फोटो शेयर की हैं। जिसमें वकील ने कई पॉइंट्स की एक लिस्ट भी दी है जिसके आधार पर उन्होंने सुशांत की मौत की जांच में हत्या के लिए एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया था।
:मोदी-शाह के भरोसेमंद रहे मनोज शशिधर के नेतृत्व में सुशांत मामले की जांच शुरू; आज तक किसी भी जांच में नाकाम नहीं हुए
- गगनदीप गंभीर और नुपूर प्रसाद के तौर पर दो महिला अफसर भी सीबीआई की जांच टीम में
- मध्यप्रदेश में व्यापमं मामले से जुड़ी मौतों की जांच कर चुके अनिल यादव हैं जांच अधिकारी
एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून को कथित तौर पर सुसाइड किया था। इसे लेकर महाराष्ट्र पुलिस और बिहार पुलिस अलग-अलग जांच कर रहीं थी। हालांकि, अब बिहार सरकार की सिफारिश पर मामला सीबीआई को ट्रांसफर हो चुका है।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 अगस्त को बड़े फैसले में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। 6 अगस्त को एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई ने इस मामले में विशेष जांच टीम (एसआईटी) बना दी है। इसका नेतृत्व गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर मनोज शशिधर करेंगे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है।
चार सदस्यों वाली एसआईटी टीम में गगनदीप गंभीर और नुपूर प्रसाद को भी रखा गया है ताकि महिला आरोपियों से पूछताछ में दिक्कत न हो। इस मामले में अनिल यादव जांच अधिकारी रहेंगे। आइये जानते हैं इन चार अधिकारियों के बारे में –
1. मनोज शशिधर, जॉइंट डायरेक्टरः शाह लेकर आए हैं सीबीआई में
- गुजरात कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अफसर मनोज शशिधर जनवरी में ही सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर बनाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनके नाम पर मंजूरी दी थी।
- नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब मनोज शशिधर ने कई अहम पदों पर सेवाएं दी थी। सीबीआई में आने से पहले मनोज शशिधर गुजरात में डीजीपी, सीआईडी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) के पद पर तैनात थे।
- सूत्रों का कहना है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी चाहते थे कि उनसे जुड़े मामले की जांच किसी गैर-तेलुगूभाषी जॉइंट डायरेक्टर को सौंपी जाए। इस संबंध में उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र भी लिखा था। इसके बाद ही गुजरात से मनोज को दिल्ली बुलाया गया।
- इससे पहले वे पुलिस कमिश्नर (वडोदरा), डीसीपी क्राइम ब्रांच (अहमदाबाद) और जॉइंट कमिश्नर (अहमदाबाद) जैसे संवेदनशील पदों पर बखूबी काम कर चुके हैं। खास बात यह है कि अब तक किसी भी जांच में वे नाकाम नहीं रहे हैं।
- मनोज शशिधर पांच साल के लिए सीबीआई में डेपुटेशन पर आए हैं। इससे पहले विजय माल्या केस की जांच की निगरानी कर चुके हैं। उन्हें सीबीआई में नो-नॉनसेंस अधिकारी के तौर पर जाना जाता है। हाई-रिस्क, हाई-टेंशन माहौल में काम करने के आदि हैं।
2. गगनदीप गंभीर, डीआईजीः उत्तरप्रदेश के अवैध खनन मामले में प्रभावी जांच की
- बिहार के मुजफ्फरपुर में पली-बढ़ीं गगनदीप गंभीर ने पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। वहां भी टॉपर रही हैं। गुजरात कैडर की 2004 बैच की आईपीएस अफसर हैं और सीबीआई में उन्हें घोटालों की जांच में महारथी माना जाता है।
- राजनीतिक दबाव क्या होता है, यह गंभीर को नहीं पता। तभी तो उन्हें यूपी में अवैध खनन मामले में अखिलेश यादव की भूमिका की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उसके बाद सृजन घोटाले और पत्रकार उपेंद्र राय मामले की जांच भी उन्होंने की।
- गंभीर बचपन से ही पुलिस अधिकारी बनना चाहती थी। यूपीएससी परीक्षा में अच्छी रैंकिंग पाने के बाद भी उन्होंने आईएएस के बजाय आईपीएस को चुना और गुजरात कैडर की अधिकारी बनीं।
3. नुपूर प्रसाद, एसपीः बिहार से कनेक्शन ने बनाया जांच टीम का हिस्सा
- नुपूर प्रसाद 2007 बैच की एजीएमयूटी कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं। बिहार के गया जिले के टिकारी की रहने वाली नुपूर को सीबीआई की तेजतर्रार महिला अधिकारियों के रूप में गिना जाता है।
- बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। दिल्ली पुलिस में डीसीपी शाहदरा के तौर पर 2007 में उन्होंने करियर शुरू किया। हाल ही में उन्हें प्रमोशन देते हुए एसपी बनाकर सीबीआई भेजा गया है।
4. अनिल कुमार यादव, डीएसपीः व्यापमं घोटाले से जुड़े लोगों की हत्या की जांच की
- डीएसपी अनिल कुमार यादव मध्यप्रदेश से हैं। जब बात हत्या की जटिल जांच की आती हैं तो वे इसमें अपनी काबिलियत कई बार साबित कर चुके हैं। मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले से जुड़े लोगों की मौत की जांच उन्होंने ही की है।
- यादव को अपने काम के लिए 2015 में गणतंत्र दिवस पर पुलिस मेडल से नवाजा जा चुका है। उन्हें सुशांत केस में जांच अधिकारी बनाया गया है। व्यापमं से पहले यादव कॉमनवेल्थ घोटाले और अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों में भी जांच टीम का हिस्सा रहे हैं।
- यादव ने इससे पहले शोपियां केस के साथ-साथ विजय माल्या केस में भी जांच की है। यादव के साथ काम कर चुके एक अधिकारी का कहना है कि यह टीम सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड किया या उसका मर्डर हुआ है, यह बताने में यादव की भूमिका अहम रहेगी।
किस तरह आगे बढ़ेगी जांच
- सीबीआई में सीनियर एसपी पद से रिटायर हुए मुकेश साहनी ने बताया कि मामले की जांच बिहार पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर के आधार पर होगी। अब सीबीआई, बिहार और महाराष्ट्र पुलिस की अब तक की जांच के आधार पर दस्तावेज जुटाएगी। इसमें कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर), बैंक अकाउंट डिटेल्स आदि शामिल है।
- बिहार पुलिस अब तक सुशांत के परिजनों के ही बयान ले सकी है। रिया समेत अन्य के बयान दर्ज नहीं हुए हैं। यह काम अब सीबीआई करेगी। मुंबई पुलिस से सीबीआई को सीसीटीवी फुटेज, पूछताछ के डिटेल्स, पोस्ट-मार्टम रिपोर्ट, एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री) रिपोर्ट्स जुटाने होंगे।
- डॉक्युमेंट्स जुटाने के बाद जांच अधिकारी एक्शन प्लान बनाएगा। उस पर सीबीआई के आला अफसर फैसला लेंगे कि जांच की दिशा-दशा क्या होगी। इसके बाद यादव अपना काम शुरू कर देंगे। इसमें सबसे महत्वपूर्ण होगा- घटना का रीक्रिएशन।
- वैसे, हर केस में 15 दिन, 30 दिन में जांच अधिकारी को प्रोग्रेस रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को देनी होती है। लेकिन, इस मामले की गंभीरता को देखकर लगता है कि हर कदम की उच्च अधिकारी समीक्षा करेंगे।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में स्पष्ट कहा है कि आत्महत्या के लिए उकसाने का दोष तभी सिद्ध होता है जब किसी न किसी तरीके से आरोपी की मंशा साबित होती हो। इस वजह से जांच को आगे बढ़ाने में यह एक आवश्यक शर्त होगी।
- एफआईआर में आरोप लगाए गए हैं कि रिया और उसके रिश्तेदारों ने सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाया। जांच के जरिए सीबीआई को यह साबित करना होगा कि रिया का मोटिव (मंशा) यह था कि सुशांत सुसाइड कर लें।
- फिजिकल एविडेंस के साथ-साथ सर्कमस्टेंशियल एविडेंस (परिस्थिति-आधारित साक्ष्य) जरूरी होंगे। इसके लिए रिया के रिश्तेदारों, सुशांत के दोस्तों, मिलने-जुलने वालों और उन सभी से पूछताछ होगी, जो दोनों के संबंधों के बारे में खुलकर बोल सकें।
रिसर्च:पांच में से तीन मामलों में ही सीबीआई जांच सफल रही है; सुशांत की मौत की गुत्थी सुलझाना बड़ी चुनौती
- पिछले पांच साल में 2600 मामलों में से, 1600 से 1800 मामलों के तह तक पहुंची सीबीआई
- मोदी सरकार की तुलना में मनमोहन सिंह की सरकार में बेहतर था सीबीआई का परफॉर्मेंस
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी है। सबकी नजरें अब सीबीआई की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) पर है, जिसने जांच शुरू कर दी है। लेकिन क्या केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई से इतनी उम्मीदें लाजमी हैं।
आंकड़े कहते हैं कि सीबीआई अब तक सुसाइड केस में किसी को भी सजा दिलाने में नाकाम ही रही है। ऐसे में सुशांत केस में भी सीबीआई के सामने यह साबित करना बड़ी चुनौती होगी कि रिया चक्रवर्ती और उसके परिवार वालों ने एक्टर को सुसाइड करने के लिए उकसाया।
67% के आसपास ही रहा है कन्विक्शन रेट
जब बात सीबीआई के कन्विक्शन रेट की आती है तो पिछले चार साल में यह पांच में से तीन मामलों में ही किसी नतीजे तक पहुंच सकी है। 2016 में कन्विक्शन रेट 67% था, जो पिछले साल बढ़कर 69% तक पहुंच गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि 2016 में सबसे कम 131 केस दर्ज हुए थे, जबकि 2017 में सबसे ज्यादा 926 केस। इस साल अब तक 300 केस सीबीआई दर्ज कर चुकी है।
मनमोहन सरकार में सीबीआई का कन्विक्शन रेट ज्यादा था
सीबीआई पर सरकारों का दबाव होने की बात नई नहीं है। सुप्रीम कोर्ट खुद इसकी तुलना पिंजरे में बंद तोते से कर चुका है। ऐसे में जब आप मोदी सरकार और मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में सीबीआई का कन्विक्शन रेट देखते हैं तो अंतर साफ दिखाई देता है।
सुसाइड के चर्चित केस, जिसमें सीबीआई नहीं दे सका कोई नतीजा
जिया खान: ब्रिटिश-इंडियन एक्ट्रेस जिया खान को हम अमिताभ बच्चन की फिल्म निशब्द के लिए जानते हैं। 3 जून 2013 को उन्होंने जुहू स्थित घर के बेडरूम में सीलिंग फैन से फांसी लगा ली थी। इस मामले में भी मुंबई पुलिस पर जांच को भटकाने का आरोप लगा। उसकी मां राबिया खान का आरोप है कि जिया की हत्या हुई है। आखिर 2016 में जांच सीबीआई के हाथ में आई, लेकिन अब तक जांच किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच सकी है।
फातिमा लतीफ: फातिमा लतीफ आईआईटी मद्रास की 19 साल की स्टूडेंट थी जिसने पिछले साल कथित तौर पर सुसाइड कर लिया था। मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर जांच सीबीआई को मिली थी। लेकिन अब तक जांच चल ही रही है। फातिमा के परिवार का आरोप है कि आईआईटी फेकल्टी मेंबर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे।
परवीन बाबी: बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस परवीन बाबी ने 2005 में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में भी सीबीआई ने जांच की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
सुशांत की मौत का मामला:सीबीआई की टीम मुंबई पहुंची, जांच के लिए 3 टीमें बनाई गईं; पुलिस कमिश्नर ने कहा- केंद्रीय जांच एजेंसी का सहयोग करें
- सीबीआई ने इस मामले की जांच के लिए 10 सदस्यों की एक एसआईटी गठित की है
- सुशांत सिंह राजपूत का शव 14 जून को अपने बांद्रा स्थित फ्लैट में लटका मिला था
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच अब सीबीआई के हाथों में है। केंद्रीय जांच एजेंसी की एसआईटी गुरुवार शाम को दिल्ली से मुंबई पहुंच गई। उधर, मुंबई के पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह ने कहा कि हम सीबीआई की जांच में मदद करेंगे। इससे पहले पुलिस कमिश्नर ने राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख से मुलाकात की।
इस बीच मुंबई पुलिस के डीसीपी अभिषेक त्रिमुखे को सीबीआई और मुंबई पुलिस के बीच नोडल अफसर बनाया गया है। त्रिमुखे सुशांत केस की जांच में शामिल थे। उधर, सीबीआई की टीम कल बांद्रा पुलिस से इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज अपने हाथ में लेगी।
सीबीआई ने इस मामले के लिए गुजरात कैडर के आईपीएस मनोज शशिधर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की है। गुजरात कैडर की महिला आईपीएस अफसर गगन दीप गंभीर भी इस टीम का हिस्सा हैं, जो दिल्ली सीबीआई मुख्यालय में कार्यरत हैं। इनके साथ कुल 10 लोगों की टीम इस केस पर एक साथ काम करेगी।
तीन हिस्सों में काम करेगी यह टीम
सूत्रों के मुताबिक, इस केस पर सीबीआई की टीम को तीन हिस्सों में बांटा गया है। हर टीम में तीन सदस्य होंगे और ये सभी आईपीएस मनोज शशिधर को रिपोर्ट करेंगे।
- पहली टीम को इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज जैसे- केस डायरी, क्राइम सीन के फोटोग्राफ, ऑटॉप्सी रिपोर्ट, मुंबई पुलिस की फोरेंसिक रिपोर्ट, पीएम रिपोर्ट और दर्ज किए गए गवाहों के बयान की कॉपी को जमा करने की जिम्मेदारी दी गई है।
- दूसरी टीम रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार से जुड़े लोग, सुशांत के पूर्व मैनेजर, उनके घर पर काम करने वाले लोगों से पूछताछ करेगी। उस दिन मौका-ए-वारदात पर मौजूद सभी लोगों के बयान नए सिरे से दर्ज किए जाएंगे।
- तीसरी टीम इस मामले में प्रोफेशनल रंजिश, बॉलीवुड के नामचीन लोग और सुशांत के पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर्स से भी पूछताछ करेगी। सीन ऑफ क्राइम को रीक्रिएट करने का जिम्मा भी इसी टीम को दिया गया है।
- इसके अलावा, सीबीआई टीम ईडी द्वारा की जा रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच की फाइंडिंग रिपोर्ट के सहारे भी केस को आगे लेकर जाएगी।
सीबीआई को इन पॉइंट्स का पता लगाना है
सीबीआई की जांच बिहार पुलिस की एफआईआर पर बेस्ड होगी। इसमें आत्महत्या के लिए उकसाने, धोखाधड़ी और साजिश रचने का मुकदमा दर्ज किया गया था। उस एफआईआर में आईपीसी की धारा 341, 348, 380, 406, 420, 306 और 120बी शामिल हैं। इसके अलावा, सीबीआई को इन पॉइंट्स का पता लगाना है।
- सुशांत सिंह राजपूत की मौत खुदकुशी है या मर्डर? दोनों के पीछे का कारण।
- सुशांत की मौत में रिया, उनके परिवार, बॉलीवुड से जुड़े लोग और उसके घर पर काम करने वाले लोगों की क्या भूमिका थी?
- पैसों के लेन-देन, कमाई और सुशांत के पिता द्वारा लगाये आरोपों की जांच करना।
- सुशांत की बीमारी, उनके डिप्रेशन की थ्योरी और उनके डॉक्टर्स के दावों की पड़ताल करना। पिता ने डॉक्टर्स पर भी संदेह जताया है।
- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की सच्चाई को परखना और फॉरेंसिक रिपोर्ट से इसका मिलान करना।
- कॉल डिटेल्स की पड़ताल और इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस के सहारे इस केस की तह तक जाने का प्रयास किया जाएगा।
- 13 और 14 जून का पूरा सच सामने लाने की पूरी जिम्मेदारी भी सीबीआई के कंधों पर रहेगी।
सीबीआई के सामने 3 चुनौतियां
1. सुशांत की मौत को 60 से ज्यादा दिन हो गए हैं। क्राइम सीन पर साक्ष्य पूरी तरह मिट चुके होंगे। सीबीआई के पास सिर्फ मौके से ली गई तस्वीरें ही सहारा होंगी।
2. मुंबई पुलिस का पूरा रिकॉर्ड मराठी भाषा में है और उसे मराठी से इंग्लिश में ट्रांसलेशन कराने में लंबा वक्त लग सकता है। इनमें 56 गवाहों के बयान भी शामिल हैं।
3. सुशांत की मौत का कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं है। केवल एक आदमी है जिसने डेड बॉडी को लटके देखा और उसने भी डेड बॉडी उतार दी। ऐसे में डेड बॉडी कहां और कैसे लटकी हुई थी उसके पैर कहां पर थे इन बातों को समझने के लिए भी सीबीआई को मशक्कत करनी पड़ेगी।
रिया चक्रवर्ती-महेश भट्ट की वॉट्सऐप चैट वायरल:सुशांत का घर छोड़ने के बाद रिया ने किया था महेश भट्ट को मैसेज, जवाब में भट्ट ने कहा था- पीछे मुड़कर मत देखना
- महेश भट्ट और रिया चक्रवर्ती के बीच हुई यह वॉट्सऐप चैट 8 जून रात 7:43 से 8:08 बजे के बीच की है
- रिपोर्ट्स में यह बात सामने आ चुकी है कि भट्ट ने रिया को सुशांत से रिश्ता तोड़ने की सलाह दी थी
सुशांत सिंह राजपूत डेथ केस की जांच के लिए सीबीआई के अफसर मुंबई पहुंच चुके हैं। बताया जा रहा है कि वे क्राइम सीन को रीक्रिएट कर जांच शुरू करेंगे। इस बीच सुशांत की गर्लफ्रेंड रहीं रिया चक्रवर्ती और फिल्ममेकर महेश भट्ट की एक वॉट्सऐप चैट मीडिया में वायरल हो रही है। चैट सुशांत की मौत से 6 दिन पहले यानी 8 जून की रात 7:43 से 8:08 बजे के बीच की है। यही वो दिन था, जब रिया सुशांत का घर छोड़कर चली गई थीं। चैट के मुताबिक, भट्ट ने रिया को पीछे मुड़कर न देखने की सलाह दी थी।
इंडिया टुडे द्वारा अपने आर्टिकल में शेयर किए गए वॉट्सऐप चैट में रिया ने खुद को भट्ट के निर्देशन में बनी उनकी फिल्म ‘जलेबी’ के किरदार आयशा के रूप में मेंशन किया है। दोनों के बीच की बातचीत इस प्रकार है:-
रिया चक्रवर्ती : भारी दिल और राहत की भावना के साथ आयशा आगे बढ़ गई है सर…हमारा आखिरी कॉल जगाने वाला कॉल था। आप मेरे एंजल हैं। आप तब भी थे और अब भी हैं।
महेश भट्ट: पीछे मुड़कर मत देखना। इसे संभव बनाओ, जो कि जरूरी है। आपके पिता को मेरा प्यार। उन्हें बहुत खुशी होगी।
रिया चक्रवर्ती: कुछ साहस मिला सर और आपने उस दिन फोन पर मेरे पिता के बारे में जो कहा, उसने मुझे स्ट्रॉन्ग होने के लिए प्रेरित किया। हमेशा खास होने के लिए उन्होंने आपको प्यार और शुक्रिया भेजा है।
महेश भट्ट: तुम मेरी बच्ची हो। मैं हल्का महसूस कर रहा हूं।
रिया चक्रवर्ती : आह…शब्द नहीं है सर…दिल भरा हुआ है। लेकिन आपके लिए जो फीलिंग होती है, वह सबसे अच्छी होती है।
महेश भट्ट: बहादुर होने के लिए शुक्रिया।
रिया चक्रवर्ती : किस्मत का शुक्रिया, जो उसने मुझे आपसे मिला दिया। आप सही हैं। हमारे रास्ते इस दिन के लिए ही मिले थे। सिर्फ एक फिल्म के लिए नहीं, बल्कि कुछ बहुत अलग है। आपके कहा एक-एक शब्द मेरे दिमाग में गूंजता है और आपके असीमित प्यार का गहरा प्रभाव महसूस होता है।
महेश भट्ट: हां, हां, हां। अगर मैं काम न आ सका तो मेरे होने का कोई मतलब नहीं है।
रिया चक्रवर्ती : आपने मुझे फिर आजाद कर दिया। भगवान की तरह एक ही जिंदगी में दूसरी बार। (संभवतः पहली बार के तौर पर वे उनकी फिल्म ‘जलेबी’ की बात कर रही हैं)
महेश भट्ट : रेस्ट।
रिया चक्रवर्ती: आह शांति।
महेश भट्ट : हैप्पी बर्थडे। (शायद महेश भट्ट इसे रिया का पुनर्जन्म मान रहे थे।)
रिया चक्रवर्ती : हाहा-हाहा…मैं स्माइल कर रही हूं। आई लव यू माय बेस्ट मैन। आपको प्राउड फील कराऊंगी।
महेश भट्ट : तुमने पहले ही करा दिया। वाकई। तुमने जो किया, उसके लिए गट्स चाहिए। पीछे मत मुड़ना।
महेश भट्ट ने सुशांत से रिश्ता खत्म करने की सलाह दी थी?
रिया ने मुंबई पुलिस और ईडी की पूछताछ में यह दावा किया था कि सुशांत ने उन्हें घर छोड़ने के लिए कहा था, क्योंकि उनके पिता उनके रिश्ते से खुश नहीं थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, महेश भट्ट ने भी उन्हें सुशांत के साथ रिश्ता खत्म करने की सलाह दी थी। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि रिया ने कुछ और लोगों को सुशांत की मानसिक बीमारी के बारे में बताया था।
8 जून को लेकर सुशांत के परिवार और रिया की अलग-अलग कहानी
8 जून को लेकर सुशांत के परिवार और रिया की ओर से अलग-अलग कहानी सामने आ चुकी हैं। सुशांत की बहन मीतू की मानें तो रिया ने उन्हें फोन करके फ्लैट पर बुलाया था और कहा था कि सुशांत से उनका झगड़ा हुआ है। जब मीतू वहां पहुंचीं तो रिया जा चुकी थीं। सुशांत ने भी दोनों के झगड़े के बारे में बताया था। मीतू के मुताबिक, वे सुशांत के साथ 12 जून तक रुकी थीं। लेकिन फिर उन्हें घर लौटना पड़ा था, क्योंकि उनके बच्चे छोटे हैं।
रिया की ओर से जो कहानी आई, वह बिल्कुल उलट है। उन्होंने अपने वकील सतीश मानशिंदे के जरिए दावा किया था कि मौत से पहले सुशांत बहुत परेशान थे। वे लगातार रो रहे थे और अपने परिवार को साथ रहने के लिए बुला रहे थे। 8 जून को जब उनकी बड़ी बहन मीतू साथ आकर रहने के लिए तैयार हो गईं तो अभिनेता ने रिया को उनके घर भेज दिया था।