हैदराबाद. तेलंगाना सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट यदाद्री के लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर का काम लॉकडाउन में भी नहीं रुका। हालांकि, इसके पीछे का कारण था यदाद्री भुवनगिरी जिले में कोई कोरोना पॉजिटिव केस का ना होना। मंदिर के नव-निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। इसकी कुल लागत करीब 1800 करोड़ रुपए है, पहले फेज में लगभग एक हजार करोड़ रुपए के काम हो रहे हैं। दूसरे फेज में मंदिर को और भव्य रूप दिया जाएगा।
यदाद्री लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर को तेलंगाना का तिरुपति मंदिर कहा जा रहा है, क्योंकि आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद तेलंगाना के पास तिरुपति जैसा कोई भव्य मंदिर नहीं था। मंदिर के लोकार्पण को लेकर भी काफी बड़े पैमाने पर योजना बनाई जा रही है। इसकी तारीख की घोषणा खुद मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव करेंगे।
लोकार्पण में राष्ट्रपति और पीएम को बुलाने की योजना
मार्च में एक भव्य यज्ञ के साथ इस मंदिर का लोकार्पण होना था। तेलंगाना सीएम केसीआर ने भी घोषणा की थी कि इसके लोकार्पण समारोह को हर तरह से भव्य रूप दिया जाएगा। इसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसी हस्तियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। लेकिन, कोरोना के चलते कुछ देरी हो रही है। हैदराबाद से करीब 60 किमी दूर यदाद्री भुवनगिरी जिले में मौजूद लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर का रिकॉर्ड 4 साल में कायाकल्प किया जा रहा है।
इसके लिए इंजीनियरों और आर्किटेक्ट्स ने करीब 1500 नक्शों और योजनाओं पर काम किया। 2016 में इसकी योजना को मंजूरी मिली थी। लॉकडाउन के दौरान भी यहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए काम हुआ। प्रवासी मजदूरों के भी रुकने के लिए व्यवस्था की गई थी।
स्कंद पुराण में मिलता है यदाद्री मंदिर का उल्लेख
यदाद्री लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर का उल्लेख 18 पुराणों में से एक स्कंद पुराण में मिलता है। हजारों साल पुराने इस मंदिर का क्षेत्रफल करीब 9 एकड़ था। मंदिर के विस्तार के लिए 300 करोड़ में 1900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया। मंदिर में 39 किलो सोने और करीब 1753 टन चांदी से सारे गोपुर (द्वार) और दीवारें मढ़ी जाएंगी। संभवतः इसे फेज 2 में किया जाएगा। इसकी लागत करीब 700 करोड़ रुपए होगी। मंदिर का डिजाइन हैदराबाद के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट और साउथ फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर आनंद साईं ने तैयार किया है।
- 27 किलो सोने से मढ़ा जाएगा मुख्य शिखर
यदाद्री मंदिर का मुख्य शिखर जो गर्भगृह के ऊपर होगा, उसे सोने से मढ़ा जाएगा। करीब 32 लेयर वाले इस शिखर को सोने से मढ़ने के लिए एजेंसियों की मदद ली जा रही है। इसमें शिखर पर पहले तांबे की परत चढ़ाई जाएगी। फिर सोना मढ़ा जाएगा। अनुमान है कि इसमें करीब 27 किलो सोना लगेगा। मंदिर में करीब 39 किलो सोना है।
- 1000 साल तक मौसम की मार झेल सकने वाले पत्थर
मंदिर के निर्माण के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, वे हर तरह के मौसम की मार झेल सकते हैं। लगभग 1000 साल तक ये पत्थर वैसे ही रह सकेंगे, जैसे कि अभी हैं.. इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है।