भारत के इलाके पर नेपाल की दावेदारी / नए नक्शे के लिए नेपाल की संसद में लाया गया बिल पास हुआ, विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा
नेपाल ने 18 मई को नया नक्शा जारी किया था, भारत ने इसका विरोध किया था संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए दो तिहाई वोटों की जरूरत थी नेपाल की संसद (प्रतिनिधि सभा) में शनिवार को भारतीय क्षेत्र से जुड़े विधेयक पर चर्चा हुई।
काठमांडू. नेपाल की संसद ने भारत के कुछ इलाकों को अपना बताने के लिए नक्शे में बदलाव से जुड़ा बिल शनिवार को पास कर दिया। यह बिल संविधान में बदलाव करने के लिए लाया गया था। बिल नेपाल की कानून मंत्री डॉ. शिवमाया तुम्बाड ने पेश किया था। इसके सपोर्ट में 258 वोट पड़े। विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। इस विधेयक को पारित कराने के लिए दो तिहाई वोटों की जरूरत थी।
नेपाल ने नया नक्शा 18 मई को जारी किया था
भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था। इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया नक्शा जारी किया था। भारत ने इस पर आपत्ति जताई थी।
भारत ने कहा था- यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। हाल ही में भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीन का नाम लिए बिना कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और के कहने पर किया।
कब से और क्यों है विवाद?
- नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1816 में एंग्लो-नेपाल जंग के बाद सुगौली समझौते पर दस्तखत हुए थे। इसमें काली नदी को भारत और नेपाल की पश्चिमी सीमा के तौर पर दिखाया गया है।
- इसी आधार पर नेपाल लिपुलेख और अन्य तीन क्षेत्र अपने अधिकार क्षेत्र में होने का दावा करता है।
- हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। दोनों देशों के पास अपने-अपने नक्शे हैं।