पैतृक गांव पहुंचकर भावुक हुए राष्ट्रपति:हेलीपैड पर उतरते ही जन्मभूमि पर नतमस्तक हुए कोविंद; बोले- सोचा नहीं था कि गांव का एक लड़का देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचेगा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को यूपी के कानपुर देहात स्थित अपने पैतृक गांव परौंख पहुंचे। यहां आने के बाद वे भावुक नजर आए। हेलीपैड पर उतरकर उन्होंने अपनी जन्मभूमि पर नतमस्तक होकर मिट्टी को स्पर्श किया और उसे माथे से लगाया। उन्होंने कहा कि मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा, लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह कर के दिखा दिया।
कोविंद के संबोधन की अहम बातें
1. मैं कहीं भी रहूं, मेरा गांव हमेशा मेरे साथ
यहां अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने मंच से अपने दिल की बात कही। उन्होंने कहा, ‘मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के लोगों की यादें सदैव मेरे दिल में रहती है। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे आगे बढ़कर देश-सेवा की प्रेरणा सदैव मिलती रही।’
2. माता-पिता और गुरु का सम्मान ही संस्कृति
भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव:’, ‘पितृ देवो भव:’, ‘आचार्य देवो भव:’ की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी। माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है।
3. संविधान-निर्माताओं को नमन
आज इस अवसर पर देश के स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान और योगदान के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं। सचमुच में आज मैं जहां तक पहुंचा हूं, उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है।