सीमा पार से घुसपैठ रोकने के लिए बीएसएफ दरिया रावी के इलाके को आधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस कर रही है। दरिया किनारे भारत-पाक सीमा से लगते इलाकों में चिह्नित 35 जगहों पर लेजर उपकरण लगाए जा रहे हैं। यह काम लगभग मुकम्मल हो चुका है। इस बार संभावित बाढ़ की सूरत में भी घुसपैठ बीएसएफ के लिए चुनौती नहीं बनेगी।
बीएसएफ ने 35 चिह्नित जगहों पर लेजर उपकरण लगाकर दरिया का इलाका किया कवर
दरिया के रास्तों पर सुरक्षा प्रबंधों को मजबूत बनाने को लेकर गृह मंत्रालय से मंजूरी के बाद बीएसएफ अमृतसर सेक्टर के रावी दरिया से लगते इलाकों में यह जरूरी कदम उठा रही है। सतलुज दरिया से लगते सीमा से जुड़े इलाकों में लेजर उपकरण से घुसपैठ पर नजर रखने के सफल प्रयोग के बाद अब दूसरे चरण में इसे यहां अपनाया जा रहा है।
बारिश और बाढ़ के दिनों में रावी दरिया से घुसपैठ की घटनाएं बढ़ जाती थीं। लेजर उपकरण लगाने वाली टीम अपना काम लगभग पूरा कर चुकी है। सीमा पार से घुसपैठ कर इधर आने वाले आतंकियों के लिए अमृतसर, पठानकोट व गुरदासपुर फिलहाल सबसे सुरक्षित जगह है। रावी दरिया हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों से निकल कर पठानकोट, गुरदासपुर के रास्ते अमृतसर सीमा से होते हुए पाकिस्तान के दरिया चिनाब में मिलता है।
डीजी एसएस जायसवाल ले चुके हैं जायजा
बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल एसएस जायसवाल पिछले दिनों भारत-पाक सीमा से सटे इलाकों का जायजा ले चुके हैं। तब उन्होंने बीएसएफ के आइजी महिपाल यादव और डीआइजी भूपिंदर सिंह के साथ रामकोट से लेकर ज्वाइंट चेक पोस्ट अटारी तक 15 किलोमीटर पैदल सफर तय किया था।
” बीएसएफ के जवान हर स्थिति से निपटने में समक्ष हैं। बारिश हो या तूफान, सर्दी हो या गर्मी हर सूरत में सीमा की सुरक्षा के लिए जवान डटे रहते हैं। इन दिनों में अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। उन्हें खुद गश्त का नेतृत्व करना होता है। बाढ़ और बारिश के दिनों में अत्याधुनिक तकनीक की मदद से सीमाओं की निगरानी की जाएगी।