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पंजाब में रोजी-रोटी छिनी तो 3573 महिलाओं ने मास्क सिलकर कमाए 25.15 लाख, झारखंड में पीपीई किट बना रहीं महिलाएं

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बठिंडा. कोरोना महामारी ने एक तरफ दुनिया को संकट में डाल दिया है तो दूसरी तरफ ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं, जिसमें लोगों ने इसे अवसर के रूप में बदलना शुरू कर दिया। पंजाब में 3573 महिलाओं ने कोरोनाकाल में मास्क बनाकर अब तक 25.15 लाख रुपए कमा लिए हैं, वहीं झारखंड में पतियों की नौकरी छूटने के बाद महिलाएं पीपीई किट बनाकर पैसे कमा रही हैं।

लॉकडाउन में लोगों की मदद करने के लिए पंजाब में 647 सेल्फ हेल्प ग्रुप चलाए जा रहे हैं। इन समूहों की 3573 ग्रामीण महिलाओं ने दो महीने में मास्क बनाकर 25 लाख 15 हजार 333 रुपए कमाए हैं। पंजाब के बठिंडा जिले में भी समूह की 198 महिला मेंबर हैं, जिन्होंने 3 लाख 17 हजार 160 रुपए कमाए हैं।

एक मास्क बनाने के मिलते हैं पांच रुपए

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत पंजाब स्टेट रूरल लिवलीहुड मिशन के तहत ये काम किया गया है। इसमें ऐसी ग्रामीण महिलाओं को शामिल किया गया है, जो सिलाई-कटाई जानती हैं। ऐसी महिलाओं को रॉ मटेरीयल देकर बनाने के प्रति मास्क 5 रुपए दिए गए हैं।

बाजार में मास्क बेचने के साथ ही पुलिस को 6000, मंडी बोर्ड को 12,100, मनरेगा को 10 हजार, पीएसपीसीएल को 1600 और एसबीआई को 1500 मास्क दिए गए हैं।

झारखंड में पतियों की नौकरी छूटी तो गृहिणियों ने संभाला मोर्चा

झारखंड के रांची जिले के नामकुम के कालीनगर में रहने वाली महिलाएं पीपीई किट और मास्क बनाकर अपने परिवार को आर्थिक सहयोग कर रही हैं। इनमें अधिकतर ऐसी महिलाएं हैं, जिनके पति प्राइवेट नौकरी करते थे, लेकिन कोरोनाकाल में लगे लॉकडाउन के बाद पतियों की नौकरी छूट गई।

पैसों की किल्लत होने पर महिलाओं ने पीपीई किट और मास्क बनाने का निर्णय लिया। महिलाओं ने अपने रोजगार केन्द्र का नाम ‘समरजीत’ रखा है, जिसका मतलब है युद्ध विजेता होता है।

रांची जिले के नामकुम के कालीनगर की महिलाएं अपने घर के काम निबटाने के बाद पीपीई किट बनाने का काम करती हैं। ये महिलाएं 5 घंटे में 6 पीपीई किट तैयार कर लेती हैं। इसके बदले इन्हें 200 रुपए तक मिल जाते हैं। इन्हें अब अस्पतालों से भी पीपीई किट बनाने के ऑर्डर मिलने लगे हैं।

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