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पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष जाखड़ बोले- बादल ने मजबूरी में किया अवार्ड वापस, लेकिन फैसला स्वागत योग्य

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चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष सुनील जाख़ड़ ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा पद्म विभूषण अवार्ड मजबूरी में वापस किया है, लेकिन यह स्‍वागत योग्‍य फैसला है। जाखड़ ने कहा कि बादल ने यह फैसला राजनीतिक मजबूरी व भूतकाल में अकाली दल की ओर से काले कृषि कानूनों का साथ देने की बड़ी गलती पर पर्दा डालने की कोशिश के तौर पर किया है।

उन्‍होंने कहा कि बादल के इस फैसले से किसानों के संघर्ष को और बल मिलेगा। भाजपा को भी मामले की गंभीरता को देखते हुए सत्ता की मदहोशी का त्याग कर किसानों की मांगों का हल करना चाहिए। जाखड़ ने कहा कि इन काले कानूनों के संबंध में जब अध्यादेश लाया गया था तो अकाली दल के नेता इन कानूनों को किसानों के लिए वरदान बता रहे थे। बादल ने पुत्र के सत्ता मोह में इन कानूनों को किसान के हित में बताकर जो गलती की थी, अब उस गलती को ढकने की कोशिश की गई है।

उंगली में खून लगाकर शहीद कहलाना चाहते हैं बादल: रंधावा

कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि बादल की ओर से देर से लिया गया फैसला है। रंधावा ने कहा कि बादल उंगली में खून लगाकर शहीद कहलाना चाहते है। जब इन कानूनों के अध्यादेश लाए गए तो अकाली दल ने विरोध नहीं किया। बादल, पहले इन कानूनों को सही ठहरा रहे थे और अब अवार्ड वापस कर रहे हैं।

कुर्सी के लिए किसानी बेचने वाले बादल ढोंग न करें: चीमा

नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की ओर से पद्म विभूषण अवार्ड वापस करने पर कहा कि अगर अकाली दल एनडीए का हिस्सा होते हुए यह काले कानून बनने ही न देता तो अब यह दिन न देखने पड़ते। जब बादलों के पास मोदी सरकार को घातक कृषि कानून बनाने से रोकने की ताकत थी, उस समय इस परिवार ने हरसिमरत कौर बादल की कुर्सी के लिए पंजाब और पंजाब के किसानों के हितों को गिरवी रख दिया। चीमा ने बादल की ओर से अवार्ड वापस करने को नाटक करार दिया।

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