देश में कोरोना पर राहतभरी खबर:पहली लहर में पीक के बाद नए केस घटने में 6 हफ्ते लगे, दूसरी लहर में 3 हफ्ते बाद ही रोजाना के केस 50% तक घटने लगे
देश में कोरोना की दूसरी लहर जिस रफ्तार से बढ़ी थी, उसी रफ्तार से उसमें कमी भी रिकॉर्ड की जा रही है। रोजाना केसों के सात दिन के औसत की बात करें, तो दूसरी लहर के पीक से महज 3 हफ्तों में ही कोरोना के रोजाना मामलों में 50% तक की कमी रिकॉर्ड की गई।
7 दिन के औसत मामलों के मुताबिक, देश में पहली लहर का पीक 8 मई को था, जब 3 लाख 91 हजार 263 कोरोना के मामले रिकॉर्ड किए गए थे। इन आंकड़ों में बीते दिन 50% तक की गिरावट देखी गई। यानी 29 मई को यह आंकड़ा एक लाख 95 हजार 183 तक पहुंच गया।
अगर पहली लहर के पीक की बात करें, तो पिछले साल 17 सितंबर को 93,735 संक्रमितों की पहचान हुई थी। इस आंकड़े को आधे होने में करीब 6 हफ्ते लगे थे। यानी 30 अक्टूबर को 50% गिरावट के साथ संक्रमितों का आंकड़ा 46,380 तक पहुंचा था।
बीते दिन 1.65 लाख केस
देश में बीते दिन एक लाख 65 हजार 144 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यह आंकड़ा बीते 47 दिनों में सबसे कम है। इससे पहले 12 अप्रैल को एक लाख 60 हजार 854 केस आए थे। इस दौरान 3,463 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हुई और 2 लाख 64 हजार 342 लोग ठीक भी हुए।
9 मई से कोरोना के केस घट रहे
- भारत में 9 मई से कोरोना के केस घटने लगे हैं, लेकिन मौत के आंकड़ों में कोई खास कमी नहीं आई है। 31 मार्च को देश में कुल 72 हजार केस आए थे। 15 अप्रैल को ये आंकड़ा 2 लाख के पार था। 21 अप्रैल को 3 लाख और 30 अप्रैल को 4 लाख क्रॉस कर चुका था।
- इन्हीं तारीखों को मौत का आंकड़ा कुछ ऐसा था- 31 मार्च को 458, 15 अप्रैल को 1184 और 30 अप्रैल को 3525। 6 मई को देश में अब तक के सबसे ज्यादा 4,14,280 केस आए और इस दिन 3923 मौतें हुईं।
- इसके बाद पिछले 23 दिन से कोरोना के केस घट रहे हैं, लेकिन रोज होने वाली मौतों की संख्या नहीं घट रही। 7 दिन के औसत के हिसाब से अब भी रोज करीब 4 हजार के आसपास मौतें हो रही हैं।
तीसरी लहर को लेकर IIT दिल्ली की चेतावनी
इस बीच तीसरी लहर को लेकर IIT दिल्ली की एक रिपोर्ट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए अभी से तैयारी शुरू करनी होगी। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि तीसरी लहर में राजधानी को रोजाना 45000 कोरोना के मामलों के लिए तैयार रहना होगा। इस दौरान रोजाना करीब 9000 लोगों को हॉस्पिटल में एडमिट करने की जरूरत पड़ेगी।