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डिस्कनेक्टिंग बीएसएनएल / 12 साल पहले 4 लाख करोड़ रुपए वैल्यू थी, आज कर्ज चुकाने के लिए असेट बेचने पर मजबूर, 2008 में लिस्ट होती तो देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी होती

बीएसएनएल के 78,569 कर्मचारियों ने पिछले साल वीआरएस लिया है 15 साल पहले लाभ कमाने में दूसरे नंबर पर थी, आज भारी भरकम घाटे में है

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मुंबई. भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की संपत्ति को बेचने यानी एसेट मॉनेटाइजेशन की प्रक्रिया काफी तेज हो गई है। सरकार ने बीएसएनएल की लैंडहोल्डिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रॉपर्टी बेचने की संभावनाओं को तलाशने की जिम्मेदारी कंसल्टेंसी फर्म सीबीआरई ग्रुप, जोन्स लैंग लासेल (JLL) और नाइट फ्रैंक को सौंपी है। ये इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।

दिल्ली और मुंबई छोड़कर कश्मीर से कन्याकुमारी तक बीएसएनएल था

मुंबई और दिल्ली को छोड़कर पूरे भारत को कनेक्ट करने वाली बीएसएनएल का यह हाल कैसे हुआ है और क्यों हुआ, यह भी एक दिलचस्प कहानी है। बीएसएनएल तब शुरू हुआ जब देश में कोई इसकी प्रतिद्वंदी कंपनी नहीं थी। बावजूद इसके महज पिछले 30 सालों में इस कंपनी ने दम तोड़ दिया। इन्हीं 20 सालों में दूसरी ओर निजी कंपनियों ने भारतीय बाजार पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है। पिछले तीन-चार सालों में ही जियो ने 40 करोड़ से ज्यादा ग्राहक बना लिए।

बीएसएनएल की शुरुआत

वैसे तो बीएसएनएल की शुरुआत 15 सितंबर 2000 को हुई थी। लेकिन कहानी इससे अलग है। 1 अक्टूबर 2000 से केन्द्र सरकार के तत्कालीन दूरसंचार सेवा विभागों (डीटीएस) और दूरसंचार संचालन (डीटीओ) के दूरसंचार सेवा और नेटवर्क प्रबंधन के लिए इसका गठन हुआ। भारत में दूरसंचार सेवाओं की व्यापक रेंज उपलब्ध कराने वाली सबसे बड़ी और प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में से यह एक है।

ब्रिटिश सरकार के जमाने से है इसका इतिहास

भारत संचार निगम लिमिटेड भारत की सबसे पुरानी टेलीकॉम कंपनी है। इसके इतिहास का पता ब्रिटिश सरकार के जमाने से लगाया जा सकता है। भारत में दूरसंचार नेटवर्क की नींव अंग्रेजों ने 19वीं सदी के आसपास रखी थी। ब्रिटिश काल के दौरान,1850 में पहली टेलीग्राफ लाइन कलकत्ता और डायमंड हार्बर के बीच स्थापित की गई थी।

ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1851 में टेलीग्राफ की शुरुआत की

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1851 में टेलीग्राफ का इस्तेमाल करना शुरू किया और 1854 तक देश भर में टेलीग्राफ लाइनें बिछाई गईं। 1854 में टेलीग्राफ सेवा को जनता के लिए खोला गया और पहला टेलीग्राम मुंबई से पुणे भेजा गया। 1885 में ब्रिटिश इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल द्वारा इंडियन टेलीग्राफ एक्ट पास किया गया। 1980 के दशक में डाक और टेलीग्राफ विभाग के विभाजन के बाद, दूरसंचार विभाग के अस्तित्व में आने के कारण आखिरकार सरकारी स्वामित्व वाली टेलीग्राफ और टेलीफोन कंपनी की शुरुआत हुई, जिसके कारण बीएसएनएल की नींव रखी गई।

15 जुलाई 2013 को टेलीग्राफ सेवाएं बंद हो गईं

इसने भारत में टेलीग्राफ सेवाओं को जारी रखा। पर 15 जुलाई 2013 को टेलीग्राफ सेवाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया। 160 साल तक इस सर्विस को उपलब्ध कराने के बाद बीएसएनएल ने 15 जुलाई 2013 को अपनी टेलीग्राफ सेवा बंद कर दी। इसने फरवरी 1855 में जनता के लिए टेलीग्राम देने का काम शुरू किया। इस सेवा को 2010 में वेब-आधारित मैसेजिंग सिस्टम में अपग्रेड किया गया था और इसे पूरे भारत में 182 टेलीग्राफ आफिस के माध्यम से पेश किया गया था।

बीएसएनएल ने 1990 में लैंडलाइन की सेवा शुरू की

कंपनी ने अपनी लैंडलाइन सेवा को 1990 की शुरुआत में लांच किया था। उस समय यह एकमात्र फिक्स्ड लाइन टेलीफोन देनेवाली कंपनी देश में थी। 1999 में जब डीओटी ने नई टेलीकॉम पॉलिसी लाई तब उसके बाद एमटीएनएल को लैंडलाइन सेवा देने की मंजूरी मिली। 1990 और कुछ हद तक 2000 के दशक को देखें तो बीएसएनल के लिए एक स्वर्णिम युग था। आज जिस तरह से किसी विदेशी ब्रांड के फोन की लांचिंग के समय रातों रात लाइन लगती है बुक करने की, उसी तरह की हाल बीएसएनएल की थी। उस दौर में इसकी लैंड लाइन फोन के लिए 6-6 महीने तक लाइन लगती थी।

क्षमता और सब्सक्राइबर

30 अप्रैल 2019 तक इस कंपनी के पास बेसिक टेलीफोन की क्षमता 2.96 करोड़ थी। डब्ल्यूएलएल की क्षमता 13.9 लाख थी। फिक्स्ड एक्सचेंज की क्षमता 1.46 लाख थी। 11.58 करोड़ मोबाइल फोन ग्राहक हैं। 1.17 करोड़ वायरलाइन फोन ग्राहक इसके हैं। वायरलाइन और वायरलेस ब्रॉडबैंड दोनों में 21.56 मिलियन उपभोक्ता शामिल हैं।

सियाचिन और ग्लेशियर तक हैं इसकी सेवाएं

यह देश के दुर्गम स्थानों जैसे सियाचिन ग्लेशियर, देश के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र तक अपनी पहुंच बना रखी है। अपनी व्यापक सेवाओं जैसे वायरलाइन, सीडीएमए मोबाइल, जीएसएम मोबाइल, इंटरनेट, ब्रॉडबैंड, कैरियर सेवाएँ, एमपीएलएस-वीपीएन, वीसैट, वीओआईपी, आईएन सेवाएँ, एफ़टीटीएच आदि के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं की सेवा कर रही है। इसकी प्रमुख सेवाओं में लैंडलाइन, मोबाइल , ब्राडबैंड , एंटरप्राइज सर्विसेस हैं।

2007-08 में 40 हजार करोड़ का आईपीओ का प्लान

बीएसएनएल साल 2007-8 में 40 हजार करोड़ रुपए का आईपीओ लाने की तैयारी कर चुकी थी। इसके बोर्ड ने मंजूरी दे दी थी। लेकिन मामला सरकार के पास फंस गया। सरकार की ओर से मंजूरी नहीं मिली। यह आईपीओ उस समय का सबसे बड़ा आईपीओ था। हालांकि 2010 में जाकर कोल इंडिया ने 15,475 करोड़ रुपए का सबसे बड़ा आईपीओ लाया था। बीएसएनएल ने इस राशि में से 15 हजार करोड़ रुपए मोबाइल और ब्रॉडबैंड नेटवर्क के विस्तार पर खर्च करने की योजना बनाई थी। 2010 तक इसकी योजना 60 हजार करोड़ रुपए के निवेश की थी।

12 साल पहले 4 लाख करोड़ का वैल्यूएशन

बीएसएनएल इसके जरिए 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहता था। इस हिसाब से भारतीय मुद्रा में इसका वैल्यूएशन 4 लाख करोड़ रुपए का था। करीबन 12 साल बाद जियो 5 लाख करोड़ रुपए के वैल्यूएशन के साथ सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। अगर 12 साल पहले बीएसएनल लिस्ट हो जाती तो यह आज 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के वैल्यूएशन वाली कंपनी होती। उस समय बीएसएनएल का यह वैल्यूएशन लिस्टेड टेलीकॉम कंपनियों भारती एयरटेल (183,283 करोड़) और अनिल अंबानी की आरकॉम के (163,683 करोड़) को मिला भी दें तो उससे यह ज्यादा वैल्यूशएन की कंपनी थी।

2006-07 में सबसे अधिक ग्राहक वाली कंपनी

2006-07 में समय बीएसएनएल के पास 7.5 करोड़ ग्राहक थे। भारती एयरटेल के पास 5 करोड़ ग्राहक थे। आर कॉम के पास 4 करोड़ ग्राहक थे। उस समय बीएसएनएल रेवेन्यू और ग्राहक, दोनों के आधार पर सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी थी। कंपनी का कुल रेवेन्यू 2006-07 में 39,715 करोड़ रुपए जबकि शुद्ध लाभ 7,805 करोड़ रुपए था। 2008 का वह दौर था, जब बाजार अपनी तेजी पर था। रिलायंस पावर इसी समय जनवरी 2008 में सबसे बड़ा आईपीओ लाकर 10,400 हजार करोड़ रुपए जुटाई थी। बीएसएनएल की योजना भी जनवरी 2008 से ही शुरू थी।

आईपीओ फेल होने से इन्वेस्टमेंट रुका और कंपनी घाटे में चली गई

7 नवंबर 2008 को बीएसएनएल बोर्ड ने आईपीओ को मंजूरी दी थी। उस समय के बीएसएनएल चेयरमैन कुलदीप गोयल ने कहा था कि बोर्ड ने पास किया है। अब यह सरकार के पास है कि क्या करना है। उस समय टेलीकॉम मंत्री ए. राजा थे। हालांकि इस योजना के असफल होने के बाद बीएसएनएल की कहानी खत्म होती नजर आई। साल 2012 में इसका घाटा 9,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। जबकि इसका रेवेन्यू साल 2006-07 की तुलना में 30 प्रतिशत घटकर 28 हजार करोड़ रुपए पर आ गया।

कर्मचारियों की संख्या

कंपनी के पास पिछले साल के आधार पर कुल 1.53 लाख कर्मचारी थे। इसमें से 78,569 कर्मचारियों ने वीआरएस ले लिया है। यह वीआरएस स्कीम 4 नवंबर से 31 दिसंबर 2019 के बीच थी।

कंपनी का रेवेन्यू और लाभ

बीएसएनएल को अगर 2010 से पहले देखें तो यह लाभ कमाने वाली सरकारी कंपनी थी। एक समय इसका लाभ देश में दूसरे नंबर पर हुआ करता था। लेकिन बाद में कंपनी लगातार घाटा दिखाती रही और कर्ज भी बढ़ता गया। कंपनी की बैलेंसशीट से पता चलता है कि साल 2004-05 में इसका शुद्ध लाभ 10,183 करोड़ रुपए था। यह एक साल पहले के 5,976.5 करोड़ रुपए की तुलना में 70.4 प्रतिशत बढ़ा था। उस समय इससे आगे केवल ओएनजीसी थी जिसका लाभ 14,339 करोड़ रुपए था। इस साल में इसका कुल रेवेन्यू 36,090 करोड़ रुपए था। इसमें एक सााल पहले के 34,009 की तुलना में 6.12 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

2001-02 में इसके पास कुल मोबाइल कनेक्शन 1.78 लाख थे। 2003-04 में यह बढ़कर 52.54 लाख हो गए थे। 15 सितंबर 2000 से 31 मार्च 2001 तक इसका 747 करोड़ रुपए शुद्ध लाभ था। 2005 में यह बढ़कर 5976 करोड़ हो गया।

तीन साल पहले की बैलेंसशीट

बीएसएनल का कुल रेवेन्यू 2016-17 में 31,533 करोड़ रुपए था, जो 2017-18 में 25,071 करोड़ और 2018-19 में 19,321 करोड़ रुपए रहा। नुकसान की बात करें तो 2018 में 7,992 करोड़ रुपए और 2019 में 14,904 करोड़ रुपए था। 2010 में बीएसएनएल का कुल नुकसान 1,822 करोड़ का था, जबकि रेवेन्यू 32,045 करोड़ रुपए था। 2005 में 36,090 करोड़ के रेवेन्यू पर 10,183 करोड़ रुपए का लाभ था। 2008 में रेवेन्यू 39,715 करोड़ जबकि लाभ 3,009 करोड़ रुपए था।

खर्च हर साल बढ़ता गया

खर्च या लागत की बात करें तो यह हर साल बढ़ता गया। 2016-17 में यह 247,584 करोड़ रुपए था, जबकि अगले साल बढ़कर 251,361 करोड़ और 2018-19 में 255,776 करोड़ रुपए हो गया।

एक लाख 16 हजार 606 करोड़ की असेट्स

31 मार्च 2019 तक इसके पास कुल 116,606 करोड़ रुपए की असेट्स थी। इसमें इसकी जमीन, बिल्डिंग, केबल्स, प्लांट आदि शामिल है। 31 मार्च 2019 तक इक्विटी के साथ इसकी लाइबिलिटी 135,482 करोड़ थी जो 2018 में 132,797 करोड़ रुपए थी। बिना इक्विटी की लाइबिलिटी 60,748 करोड़ और 43,125 करोड रुपए थी।

सेल वन ब्रांड के तहत देती है सेवा

बीएसएनएल मुख्य रूप से सेल वन ब्रांड के तहत पूरे भारत में अपनी सेवा देती है। इसके कुल ग्राहकों की संख्या 12 करोड़ से ज्यादा है। बीएसएनएल के पास फिक्स्ड लाइन में करीबन 49.34 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी देश में है। इंटरनेट के मामले में यह देश की चौथी सबसे बड़ी आईएसपी कंपनी है। इसके पास देश में 7.5 लाख किलोमीटर का फाइबर आधारित टेलीकॉम नेटवर्क है।

आज भी इसके पास नई टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट हैं

हालांकि बढ़ते टेक्नोलॉजी के जमाने में बीएसएनएल भी पीछे नहीं रहा। इसमें पिछले साल ही भारत फाइबर लांच किया। इसके जरिए आईपी पर टीवी, वीडियो ऑन डिमांड, ऑडियो ऑन डिमांड, बैंडविथ ऑन डिमांड, रिमोट एजुकेशन, वीडियो कांफ्रेंसिंग, इंटरैक्टिव गेम आदि दिए जाते हैं। यही नहीं, 2018 में इसने बीएसएनएल विंग्स सर्विसेस लांच किया। यह 22 टेलीकॉम सर्कल में लांच हुआ। इसकी विशेषता यह है कि इसमें बिना किसी सिम कार्ड के और केबल वायरिंग के आप बात कर सकते हैं।

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