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जॉब के साथ अपना व्यवसाय भी, 150 रुपये से शुरू कर पहुंची लाखों तक!

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बचपन में मुझे कॉपी और किताबों को सजाना बहुत पसंद था। लिखते वक़्त भी कोशिश करती थी कि अलग-अलग रंगों के कलम इस्तेमाल करूँ। यह सब करके एक अलग ही ख़ुशी मिलती थी और पढ़ाई करने में भी मजा आता था। मेरा यह शौक कॉलेज के दिनों तक भी रहा और अब मैं ऑफिस में भी अपने टेबल को सजाने की कोशिश करती हूँ।

मेरी एक दोस्त है, जिसे पेड़-पौधे लगाने का शौक है तो एक दूसरी दोस्त है जिसे दीवारों पर मंडाला आर्ट करने का शौक है। दरअसल हम सबके भीतर कोई न कोई हुनर होता है, जिसके बदौलत हम बहुत कुछ अलग कर सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे लोगों से मुलाकात की है, जिन्होंने अपने शौक को ही अपना व्यवसाय बना लिया हो? आइए, आज हम एक ऐसी ही उद्यमी से मिलते हैं, जिन्होंने अपने शौक को अपना व्यवसाय बना लिया है।

यह उद्यमी हैं कोयम्बटूर की रहने वाली नागा हर्षिता डी। बेंगलुरु से आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने वाली हर्षिता ने साल 2016 में अपने उद्यम, ‘नहाद्स (NAHADS)‘ की शुरूआत की थी। हर्षिता ने द बेटर इंडिया के साथ अपने व्यवसाय के बारे में विस्तार से बातचीत की।

जॉब के साथ रखी अपनी पहचान की नींव

हर्षिता बताती हैं कि पढ़ाई के दौरान उन्हें काफी बड़ी स्केचबुक और डॉयरी आदि का उपयोग करना होता था। उन्हें अक्सर लगता था कि उनकी सभी स्केचबुक एक जैसी हैं और सिर्फ उनकी नहीं बल्कि सभी छात्रों की। उन्हें यह सब काफी बोरिंग लगता था और इसलिए उन्होंने खुद अपनी डॉयरी और स्केचबुक्स को नया रूप देना शुरू किया। किसी पर कोई ड्राइंग करती तो किसी को बीड्स आदि से सजाती। यहाँ तक कि खुद बाज़ार से इको-फ्रेंडली पेपर और अन्य ज़रूरी सामग्री खरीदकर, स्केचबुक्स तैयार करने लगी।

हर्षिता ने बताया, “मेरे दोस्त, जो आर्टिस्ट हैं और आर्किटेक्ट हैं, उन सभी को ये स्केचबुक्स पसंद आई। सबने मुझसे कहा कि मैं उनके लिए भी बना दूँ। मैंने सोचा कि क्यों न इसे कमर्शियल लेवल पर ट्राई किया जाए, अगर किसी को चाहिए तो ऑर्डर करके खरीदे। इस तरह से सबसे पहले फेसबुक पर पेज शुरू हुआ- NAHADS

शुरू में, हर्षिता को उनके दोस्तों से कुछ ऑर्डर मिले और फिर बहुत-से अनजान लोगों ने भी उन्हें ऑर्डर देना शुरू किया। इसके बाद, उनके प्रोडक्ट्स कुछ अन्य ऑनलाइन स्टोर जैसे अमेज़न पर भी बिकने लगे। यह सब हर्षिता अपनी जॉब के साथ कर रही हैं। वह उन दिनों कोयम्बटूर की एक आर्किटेक्चर फर्म में प्रैक्टिस कर रही थी और फ़िलहाल एक इंस्टिट्यूट में पढ़ाती हैं। जॉब के साथ ही उन्होंने सोचा कि क्यों न वह एक बार व्यवसाय में अपना हाथ आजमाएं। उन्होंने अपने पहले ऑर्डर्स से जो कुछ भी कमाया, उस बचत से अपना खुद का ऑनलाइन स्टोर शुरू किया।

हर एक प्रोडक्ट है दूसरे से अलग

NAHADS के ज़रिए हर्षिता हैंडमेड और इको-फ्रेंडली स्टेशनरी प्रोडक्ट्स बेचती हैं। सभी सामान वह अपने आस-पास की जगहों से ही इकट्ठा करती हैं और उनके सभी प्रोडक्ट्स इको-फ्रेंडली और अपसायकल्ड मटेरियल से बनते हैं। जिनमें नोटबुक्स, स्केचबुक्स, डायरी, आर्ट जर्नल्स, फाइल्स और फ़ोल्डर्स आदि शामिल हैं।

हर्षिता क्वांटिटी से ज्यादा क्वालिटी पर फोकस करती हैं। उन्होंने बताया, “मेरे व्यवसाय के आगे बढ़ने की वजह है कि मैं ग्राहक की पसंद के हिसाब से काम करती हूँ। बहुत ही कम प्रोडक्ट्स हैं जो हमेशा हमारे यहाँ उपलब्ध रहते हैं क्योंकि मैं मास प्रोडक्शन पर विश्वास नहीं करती हूं। पिछले साल से मैंने अपने व्यवसाय को एक स्टेप आगे बढ़ाया है। अब हम ब्रांड्स के साथ भी काम कर रहे हैं और उन्हें डिज़ाइनिंग और इलस्ट्रेशन्स की सर्विसेज दे रहे हैं। इसके अलावा, लोग हमें जन्मदिन और शादियों के खास कार्ड्स डिज़ाइन करने के लिए भी संपर्क करते हैं।”

हर्षिता बतातीं हैं कि उनकी शुरूआत मात्र 150 रूपये की इन्वेस्टमेंट से हुई थी और आज उनका व्यवसाय का टर्नओवर लगभग 5 लाख रूपये सालाना पहुँच चूका है। “टर्नओवर तो घटता-बढ़ता रहता है लेकिन जो बात मेरे लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है वह है ग्राहकों की ख़ुशी। जब भी कोई ग्राहक प्रोडक्ट्स की तारीफ करता है तो लगता है मेहनत सफल हो गई।”

कभी-कभी ब्रेक भी है ज़रूरी

हर्षिता ने व्यवसाय में आने वाली परेशानियों के बारे में कहा, “फंड्स और इन्वेस्टमेंट की कोई परेशानी नहीं रही क्योंकि मैंने एकदम से सब कुछ नहीं किया। जब मुझे लगा कि मैं वेबसाइट और ऑनलाइन स्टोर में इन्वेस्ट कर सकती हूँ, तभी मैंने कदम बढ़ाया क्योंकि मैं कहीं और से फंड लेकर कुछ नहीं करना चाहती थी। अब कम से कम मैं जो भी इन्वेस्ट करती हूँ, वह मेरा अपना कमाया हुआ है और मुझे पता है कि इसे कैसे और कहाँ लगाना है। बाकी परेशानियां हमेशा क्रिएटिव साइड पर ही आती हैं।”

जैसा कि हर्षिता ने बताया कि उनका हर प्रोडक्ट-दूसरे से अलग होता है। ऐसे में, बहुत बार होता है कि वह कुछ नया नहीं सोच पाती। उन्होंने बताया, “इस वजह से मुझे एक कदम पीछे हटकर सोचना पड़ता है कि कहाँ गलती हुई है और अब क्या नया मैं कर सकती हूँ। इसके लिए ज़रूरी है कि आप अपने सामान्य रूटीन से ब्रेक भी लें। कुछ वक़्त के लिए कहीं और ध्यान दें और वहां से मिलने वाले आइडियाज से अपने काम को नए सिरे से शुरू करें। जैसे पिछले साल मैंने अपने कॉमन प्रोडक्ट्स की जगह सिर्फ कस्टम प्रोडक्ट्स पर ध्यान दिया।”

कुछ टिप्स

हर्षिता कहती हैं कि अगर आप अपने हुनर से उद्यम शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहले उसके बारे में पूरा ज्ञान आपको होना चाहिए। इसके अलावा आपके भीतर हमेशा कुछ नया सीखने और करने की ख्वाहिश होनी चाहिए। वह कहती हैं, “दूसरे आपको न बताएं कि आपको क्या करना है क्या नहीं? खुद निर्णय लें। लोगों से सलाह लें लेकिन ध्यान रहे यदि आपको अपने उद्यम का लीडर बनना है तो दिल और दिमाग से काम लेना होगा।”

पर्यावरण का रखना है खास ख्याल

आगे की योजना के बारे में हर्षिता कहती हैं, “मुझे ख़ुशी है कि हम पहले से ही इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स पर काम कर रहे हैं। लेकिन मैं चाहती हूं कि प्रोडक्ट लाइन बढ़े और कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स लॉन्च करूँ जो लोगों की लाइफस्टाइल में बदलाव लाए। ऐसा बदलाव जो पर्यावरण के अनुकूल हो और साथ ही, अपनी धरती माँ के प्रति हम अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करें।”

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