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जनसेवा का जुनून / कर्फ्यू में कोई भूखा न रहे, इसलिए बेच दिया 17 लाख का प्लाॅट, 500 लोगों के लिए रोज लंगर लगाया, मां ने कहा था-बेटा मौका मिले तो गरीबों की सेवा करना

गरीबों व जरूरतमंदों के लिए वरदान बना माता चिंत कौर चैरिटेबल ट्रस्ट कुलविंदर सिंह ने 50 दिन में जरूरतमंदों की मदद पर खर्च किए 20 लाख रुपए 503 गरीब लड़कियों की अपने पैलेस में बिना खर्च शादी करवा चुके मां के सपने को पूरा कर रहे कुलविंदर सिंह

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होशियारपुर. करीब 28 साल पहले घर में भरपेट खाना खाने के लिए पैसे नहीं थे। घर की माली हालत खस्ता थी। इससे दुखी होकर मां ने कहा कि बेटा जब भी तुमे माैका मिले व अमीर बनो, गरीबों की चिंता और सेवा करना। इस बीच मां गरीबी में चल बसी, बेटे को गरीबी के कारण पढ़ाई बीच में छोड़कर स्कूटर मेकेनिक का काम करना पड़ा। लेकिन, हिम्मत नहीं हारी।

लक्कड़ की ठेकेदारी व प्रॉपर्टी का कारोबार कर खूब पैसा कमाया। आज वही गरीब मां के बेटे की गिनती माहिलपुर व चब्बेवाल के रइसजादों में होती है।
1993 में माता चिंत कौर चैरिटेबल ट्रस्ट बनाकर समाज सेवा शुरू की, लेकिन मां की बात को आज भी नहीं भूले। यह कहानी है रसूलपुर गांव के कुलविंदर सिंह की, जिन्होंने मां के सपने को अपना लक्ष्य बनाकर कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है।

57 लाख खर्च कर चब्बेवाल कॉलेज में बनाया हॉल

ब्लॉक माहिलपुर के छोटे से गांव रसूलपुर के कुलविंदर सिंह (56) में समाज सेवा के प्रति जूनून ही है कि उन्होंने कोरोना महामारी में कर्फ्यू और लॉकडॉउन में झुगी झोपड़ी व गरीब मजदूरों की मदद के लिए अपना एक प्लाट 17 लाख रुपए में बेच डाला।

इसमें से 3 लाख रुपए और डालकर 20 लाख रुपए 50 दिन में जरूरतमंद परिवारों की मदद पर खर्च कर दिए। चब्बेवाल में करीब 500 झुगी झोपड़ी वालों को दो टाइम लगातार लंगर चलाया। 20 हजार सैनिटाइजर की शीशियां और मजदूरों को पैसे बांटे।

10 हजार मास्क डीसी होशियारपुर को सौंपे। ट्रस्ट द्वारा अब जिले के पुलिस विभाग समेत सभी कचहरियों में काम करते मुलाजिमों की मदद की जा रही है। अब सिविल अस्पताल माहिलपुर, बड़ला, चब्बेवाल और होशियारपुर में डॉक्टरों को किटें दी जा रही हैं।

यही नहीं कुलविंदर सिंह ने चब्बेवाल हर राय गर्ल्स कॉलेज में 57 लाख खर्च कर माता चिंत कौर के नाम पर दो मंजिला हाल भी बनवाया व गांव समेत अलग-अलग शहरों में 3 गुरुद्वारों का निर्माण किया।

गावों के सरकारी स्कूलों में पढ़ते गरीब जरूरतमंद परिवारों के बच्चों की सारी फीस और किताबों का खर्च उठाते हैं। कहा कि कोई भी होशियार बच्चा गरीबी से पढ़ाई न छोड़े, यह उनकी कोशिश और यही उसकी माता का सपना था, जिसे वह पूरा कर रहे।

गरीब लड़कियों की शादी में बेड, साेफे व बर्तन दिए 

माता चिंत कौर चेरिटेबल ट्रस्ट इलाके के गरीब लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है। हर जरूरतमंद के लिए ट्रस्ट के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं।
कुलविंदर सिंह ने बताया कि उनके ट्रस्ट द्वारा 1993 से लेकर अब तक 503 गरीब जरूरतमंद परिवारों की लड़कियों की शादी चब्बेवाल स्थितअपने पैलेस में निशुल्क करवाई जा चुकी है। हर गरीब लड़की को डबल बेड, सोफा सेट, बर्तन आदि सामान दिया जाता है।

स्कूटर मैकेनिक से शुरू किया संघर्ष, आज है नाम 

कुलविंदर सिंह ने पढ़ाई छोड़ने के बाद स्कूटर मेकेनिक से लेकर लक्कड़ ठेकेदारी और प्रॉपर्टी का कारोबार कर खूब पैसा कमाया। 1993 में माता चिंत कौर चैरिटेबल ट्रस्ट बनाकर समाज सेवा शुरू की।

इस दौरान 4 साल मस्कट में नौकरी की। कुलविंदर सिंह ने बताया कि जब उनका कारोबार अच्छा चल पड़ा, तो वे वापस गांव आ गए व समाजसेवा में जुट गए। 15 साल गांव की सरपंची भी की।

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