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चीन का भारत की 43,180 और पाकिस्तान का 78 हजार वर्ग किमी पर कब्जा, ये तीन स्विट्जरलैंड के बराबर

भारत की 15 हजार 106 किमी लंबी सीमा 7 देशों से लगती है। ये 7 देश हैं- बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान। इन 7 देशों में से सिर्फ चीन-पाकिस्तान और नेपाल ही हैं, जिनके साथ हमारा सीमा विवाद चल रहा है।

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नई दिल्ली. 1954 में चीन में एक किताब आई थी। नाम था “अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न चाइना”। इस किताब में चीन का नक्शा भी छपा था, जिसमें लद्दाख को उसका हिस्सा बताया गया था। फिर जुलाई 1958 में चीन से निकलने वाली दो मैगजीन “चाइना पिक्टोरियल” और “सोवियत वीकली” में भी चीन ने अपना जो नक्शा छापा था, उसमें भारतीय इलाकों को अपना बताया। भारत ने दोनों ही बार आपत्ति भी जताई, लेकिन चीन ने कहा कि नक्शे पुराने हैं और उसके पास नक्शे ठीक करने का टाइम नहीं है।

इस बीच 1956-57 में चीन ने शिंजियांग से लेकर तिब्बत तक एक हाईवे बनाया। इस हाईवे की सड़क अक्साई चिन से भी गुजार दी। उस समय तक अक्साई चिन भारत का ही हिस्सा था और सड़क बनाने से पहले चीन ने बताया तक नहीं। भारत को भी इस बारे में अखबार के जरिए ही पता चला था।

शिंजियांग-तिब्बत हाईवे पर जब उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चीन के राष्ट्रपति झोऊ इन-लाई को पत्र लिखा तो, झोऊ ने सीमा विवाद का मुद्दा उठा दिया और दावा कर दिया कि उसकी 5 हजार स्क्वायर मील यानी करीब 13 हजार स्क्वायर किमी का इलाका भारतीय सीमा में है।

ये पहली बार था जब चीन ने आधिकारिक रूप से सीमा विवाद का मुद्दा उठाया। झोऊ ने ये भी कहा कि उनकी सरकार 1914 में तय हुई मैकमोहन लाइन को भी नहीं मानती। मैकमोहन लाइन 1914 में तय हुई थी।

भारत की 15 हजार 106 किमी लंबी सीमा 7 देशों से लगती है। ये 7 देश हैं- बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान। इन 7 देशों में से सिर्फ चीन-पाकिस्तान और नेपाल ही हैं, जिनके साथ हमारा सीमा विवाद चल रहा है।

बांग्लादेश के साथ भी पहले महज 6.1 किमी की सीमा को लेकर विवाद था, जिसे 2011 में उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बांग्लादेश दौरे में सुलझा लिया गया था। उसके बाद 2014 में भारत-बांग्लादेश के बीच समुद्री सीमा का मामला भी हल कर लिया गया।

चीन-पाकिस्तान और नेपाल को लेकर क्या विवाद?
1. चीन । सीमा : 3,488 किमी

भारत की चीन के साथ 3 हजार 488 किमी लंबी सीमा लगती है, जो तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बंटी हुई है। ईस्टर्न सेक्टर में सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन से लगती है, जिसकी लंबाई 1 हजार 346 किमी है। मिडिल सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड है, जिसकी लंबाई 545 किमी है। और वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख आता है, जिसके साथ चीन की 1 हजार 597 किमी लंबी सीमा है।

चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार स्क्वायर किमी के हिस्से पर अपनी दावेदारी करता है। जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार स्क्वायर किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है। इसके अलावा 2 मार्च 1963 को चीन-पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीओके का 5 हजार 180 स्क्वायर किमी चीन को दे दिया था। कुल मिलाकर चीन ने भारत के 43 हजार 180 स्क्वायर किमी पर कब्जा जमा रखा है। जबकि, स्विट्जरलैंड का एरिया 41 हजार 285 स्क्वायर किमी है।

सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच क्या हुआ?
1993 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें तय हुआ कि दोनों देश सीमा विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाएंगे। इसके बाद नवंबर 1996 में भी समझौता हुआ, जिसमें तय हुआ कि दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ किसी तरह की ताकत का इस्तेमाल नहीं करेंगे। फिर 2005 में भी एक समझौता हुआ, जिसमें 1993 और 1996 के समझौते की बातों को ही दोहराया गया।

2. पाकिस्तान । सीमा : 3,323 किमी
पाकिस्तान तीसरा पड़ोसी मुल्क है, जिसके साथ भारत की सबसे लंबी सीमा लगती है। पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा की लंबाई 3 हजार 323 किमी है। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के 78 हजार किमी इलाके पर कब्जा कर रखा है। इसे पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके भी कहते हैं।

सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच क्या हुआ?
पाकिस्तान भारत पर 4 बार हमला कर चुका है। पहली बार आजादी के ठीक बाद 1948 में किया था। उसके बाद 1965, 1971 और 1999 में भी दोनों देशों के बीच युद्ध हो चुके हैं। 1948 की लड़ाई में ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर की 78 हजार किमी जमीन पर कब्जा कर लिया था। अभी ये मामला यूएन में है।

पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर में आतंकवाद फैलाया जा रहा है। भारत कहता है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद पर बात नहीं करेगा, तब तक कोई बात नहीं होगी। जबकि, पाकिस्तान आतंकवाद पर बात करने से इनकार करता रहा है।

3. नेपाल । सीमा : 1,751 किमी
दिसंबर 1815 में ब्रिटिश इंडिया और नेपाल के बीच एक संधि हुई थी, जिसे सुगौली संधि के नाम से जाना जाता है। इस संधि पर हस्ताक्षर तो दिसंबर 1815 में हो गए थे, लेकिन ये संधि अमल में 4 मार्च 1816 से आई। उस समय भारत पर अंग्रेजों का कब्जा था। और इस संधि पर ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से लेफ्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रेडश और नेपाल की ओर से राजगुरु गजराज मिश्र ने हस्ताक्षर किए।

सुगौली संधि में ये तो तय हो गया कि नेपाल की सरहद पश्चिम में महाकाली और पूरब में मैची नदी तक होगी। लेकिन, इसमें नेपाल की सीमा तय नहीं हुई थी। इसका नतीजा ये हुआ कि आज भी 54 ऐसी जगहें हैं, जिनको लेकर दोनों देशों के बीच विवाद होता रहता है।

सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच क्या हुआ?
सुगौली संधि में नेपाल की सरहदें तय हुई थीं, न कि सीमाएं। इसलिए 1981 में दोनों देशों की सीमाएं तय करने के लिए एक संयुक्त दल बना था, जिसने 98% सीमा तय भी कर ली थी। हालांकि, नई बॉर्डर स्ट्रिप वाले मैप पर 2007 में हस्ताक्षर हुए थे। इसके अलावा जिन इलाकों को लेकर दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चल रहा है, उसे बातचीत के जरिए सुलझाया जा रहा है।

(सोर्स : विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय)

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