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गुजरात में बनेगा 1500 करोड़ रुपए का दुनिया का सबसे बड़ा टॉय म्यूजियम, यहां 11 लाख खिलौने होंगे खास

अभी सबसे बड़ा टॉय म्यूजियम अमरीका के मिसौरी स्टेट में है। यहां प्राचीन से आधुनिक समय के 10 लाख से अधिक खिलौने हैं। ‘बाल भवन’ के लिए प्रधानमंत्री मोदी खुद कर रहे हैं मार्गदर्शन, भूमिपूजन भी वही करेंगे ‘बाल भवन’ की लागत करीब 1500 करोड़ रुपए होगी, इसे बनने में करीब 5 साल लगेंगे

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गुजरात में विश्व का सबसे बड़ा टॉय म्यूजियम बनने वाला है। इसके लिए 30 एकड़ जमीन आवंटित कर दी गई है। यह गुजरात की चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी के बाल भवन प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है। यहां प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के 11 लाख से ज्यादा खिलौने प्रदर्शित किए जाएंगे।

इसका उद्देश्य खिलौनों के जरिए वैज्ञानिक, कलाकार, महापुरुषों का परिचय कराना और भारतीय संस्कृति का दर्शन करवाना है। राज्य की राजधानी गांधीनगर स्थित गिफ्ट सिटी के करीब शाहपुर और रतनपुर गांव के बीच में इसे बनाने की तैयारी है।

इस बाल भवन की लागत करीब 1500 करोड़ रुपए होगी। इसे बनने में अभी करीब 5 साल का समय लगेगा। चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी के कुलपति हर्षदभाई शाह ने भास्कर को बताया कि अगले दो -तीन महीनों में निर्माण कार्य शुरू होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिलान्यास के लिए आमंत्रित किया जाएगा। फिलहाल इसके लिए प्रधानमंत्री खुद सक्रिय मार्गदर्शन कर रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने 22 अगस्त को इसके लिए ऑनलाइन संवाद भी किया था। इसमें उन्होंने चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी को टॉय म्यूजियम प्रोजेक्ट से संबंधित प्रजेंटेशन प्रस्तुत करने को कहा है। मोदी ने कहा है कि चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी इस योजना में अपनी पूर्ण शक्ति झोंक कर काम करे।

खिलौना शास्त्र विकसित करेगी यूनिवर्सिटी, डीआरडीओ-इसरो बनाएंगे खिलौनों के मॉडल

  • बच्चों को वैज्ञानिकों, कलाकारों, महापुरुषों का परिचय और भारतीय संस्कृति का दर्शन करवाया जाएगा।
  • गगन यान, मिसाइलों, ईवीएम मशीन, 1875 की क्रांति आदि की कहानी, झांकी खिलौनों के माध्यम से बताई जाएगी।
  • गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं में सीखने के लिए चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी का पाठ्यक्रम होगा।
  • डीआरडीओ, इसरो की मदद से इलेक्ट्रॉनिक, बैटरी, सोलर आधारित छोटे यान, पृथ्वी-अग्नि मिसाइल, सैटेलाइट आदि के मॉडल खिलौने तैयार किए जाएंगे।
  • बाल मन को शिक्षा-संस्कार देने के विचार को ध्यान में रखते हुए चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी खिलौना शास्त्र विकसित करेगी।

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