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गांधीजी की परपोती को 6 साल पुराने धोखाधड़ी के केस में मिली 7 साल की सजा, उनकी मां 9 साल तक दक्षिण अफ्रीका की सांसद रहीं

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गांधी की परपोती आशीष लता रामगोबिन को धोखाधड़ी के मामले में 7 साल जेल की सजा हुई है। सजा दक्षिण अफ्रीका के कोर्ट ने सुनाई है। आशीष लता गांधी की पोती इला गांधी की बेटी हैं। इला दक्षिण अफ्रीका में नौ साल तक सांसद रह चुकी हैं। मामला छह साल पुराना है।

दरअसल छह साल पहले दक्षिण अफ्रीका के दो बिजनेसमैन ने लता पर करीब 6 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। उन्हीं में से एक में उन्हें सोमवार को सजा सुनाई गई है।

आखिर आशीष लता रामगोबिन करती क्या हैं? गांधी जी के परिवार से उनका क्या रिश्ता है? गांधी परिवार से जुड़े होने के बाद भी वो दक्षिण अफ्रीका में कैसे हैं? क्या इसका गांधी जी की अफ्रीका यात्रा से कोई कनेक्शन है? लता की मां का दक्षिण अफ्रीका की राजनीति में क्या कद है? आइए जानते हैं …

कौन हैं आशीष लता रामगोबिन?

आशीष लता पार्टिसिपेटिव डेवलपमेंट इनिशिएटिव नाम के NGO की फाउंडर और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थीं। ये NGO अहिंसा के क्षेत्र में काम करता है। जहां लता अपने आपको एक ऐसे एक्टिविस्ट के रूप में बताती हैं जिसका फोकस पर्यावरण, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों पर है।

लता के अलावा भी महात्मा गांधी के परिवार के कई लोग मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। इनमें लता के चचेरे भाई-बहन कृति मेनन, स्वर्गीय सतीश धुपेलिया और उमा धुपेलिया-मेस्त्री और लता की मां इला गांधी शामिल हैं। लता की मां इला अपने प्रयासों के लिए दुनियाभर में जानी जाती हैं। उन्हें भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों देशों में इसके लिए सम्मानित किया जा चुका है।

लता का महात्मा गांधी से क्या संबंध है?

महात्मा गांधी के चार बेटे हरिलाल, मणिलाल, देवदास और रामदास गांधी थे। गांधी जी के दूसरे बेटे मणिलाल 1897 में पहली बार दक्षिण अफ्रीका गए। 1906 से 1914 के बीच वो क्वाज़ुलु-नटाल और गावटेंग में रहे। इसके बाद वो कुछ समय के लिए भारत आए। 1917 में मणिलाल वापस दक्षिण अफ्रीका लौट गए। वहां वे गुजराती-अंग्रेजी साप्ताहिक इंडियन ओपिनियन निकालने में मदद करने लगे। 1920 में वो इसके संपादक बन गए।

1927 में सुशीला मशरुवाला से शादी के बाद दक्षिण अफ्रीका में ही उनके तीन बच्चे सीता, इला और अरुण हुए। ये सभी दक्षिण अफ्रीका के ही नागरिक बने। हालांकि बाद में उनके बेटे अरुण ने अमेरिका की नागरिकता ले ली। आशीष लता मणिलाल की बेटी इला की बेटी हैं।

2016 में अपने दक्षिण अफ्रीका दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी जी की पोती और लता की मां इला गांधी से मुलाकात की थी।
2016 में अपने दक्षिण अफ्रीका दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी जी की पोती और लता की मां इला गांधी से मुलाकात की थी।

लता की मां क्या राजनीति में भी रही हैं?

लता की मां इला दक्षिण अफ्रीका की राजनीति का बड़ा नाम हैं। उनका जन्म दक्षिण अफ्रीका के क्वाजुलु नटाल में 1940 में हुआ था। वो शुरू से ही रंगभेद के खिलाफ काम करने के लिए जानी जाती हैं। 1973 में अफ्रीकी सरकार ने उनके ऊपर बैन लगा दिया।

उन्हें 9 साल तक हाउस अरेस्ट करके रखा गया। नब्बे के दशक में जब दक्षिण अफ्रीका से रंगभेद खत्म हुआ तो 1994 में वो अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस की सदस्य के रूप में सांसद बनीं। 2003 तक वो संसद की सदस्य रहीं।

इसके बाद इला ने हर तरह की हिंसा के खिलाफ संघर्ष शुरू किया। इसके लिए उन्होंने गांधी डेवलपमेंट ट्रस्ट भी बनाया। जो अहिंसा के लिए काम करता है। इसके अलावा उन्होंने महात्मा गांधी नमक मार्च कमेटी भी बनाई। 2002 में उन्हें कम्युनिटी ऑफ क्राइस्ट इंटरनेशनल पीस अवाॅर्ड मिला। 2007 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया।

अक्टूबर 2015 में लता पर करीब 6 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले में केस दर्ज हुआ था।
अक्टूबर 2015 में लता पर करीब 6 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले में केस दर्ज हुआ था।

लता किस मामले में दोषी पाई गई हैं?

अक्टूबर 2015 में लता पर दक्षिण अफ्रीका के दो बिजनेसमैन से 8.3 लाख डॉलर (करीब 6 करोड़ रुपए) की धोखाधड़ी का आरोप लगा। इस मामले में उनके ऊपर चोरी, जालसाजी और धोखाधड़ी की धाराएं लगाई गईं। लता पर दक्षिण अफ्रीका के बड़े उद्योगपति एसआर महाराज से 60 लाख रैंड (3. 22 करोड़) और एक अन्य बिजनसेनमैन से 50 लाख रैंड (2.7 करोड़ रुपए) की धोखाधड़ी का आरोप लगा। इन्हीं में से एक मामले में सोमवार को उन्हें सात साल की सजा सुनाई गई।

लता पर केस करने वाले बिजनेसमैन कौन हैं?

एसआर महाराज दक्षिण अफ्रीका के बड़े उद्योगपति हैं। महाराज की न्यू अफ्रीका अलायंस फुटवियर डिस्ट्रीब्यूटर्स नाम की कंपनी है। ये कंपनी जूते-चप्पल, कपड़े और लिनेन के आयात, बिक्री और मेकिंग का काम करती है। उनकी कंपनी प्रॉफिट मार्जिन के तहत दूसरी कंपनियों की आर्थिक मदद भी करती है।

लता पर महाराज ने किसलिए केस किया था?

लता पर दर्ज मुकदमे के मुताबिक 2015 की शुरुआत में लता की महाराज से मुलाकात हुई। लता ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उन्होंने भारत से लिनेन के 3 कंटेनर मंगाए हैं। ये कंटेनर साउथ अफ्रीकन हॉस्पिटल ग्रुप नेट केयर को डिलीवर करना है। लता ने कहा कि उन्हें साउथ अफ्रीका तक कंटेनर लाने के लिए पैसों की जरूरत है। उन्होंने एसआर महाराज को नेट केयर कंपनी से जुड़े दस्तावेज भी दिखाए। नेट केयर कंपनी के दस्तावेज और लता रामगोबिन के परिवार को देखते हुए महाराज ने उनके साथ डील करते हुए पैसे दे दिए। दोनों के बीच प्रॉफिट की हिस्सेदारी की भी बात हुई थी।

बाद में पता चला कि लता ने जाली दस्तावेज दिखाए थे। फर्जीवाड़े का पता चलने के बाद कंपनी के डायरेक्टर ने लता के खिलाफ कोर्ट में केस कर दिया। 2015 में लता के खिलाफ कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट में सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय अभियोजन प्राधिकरण (NPA) के ब्रिगेडियर हंगवानी मूलौदजी ने कहा था कि लता ने इन्वेस्टर को यकीन दिलाने के लिए फर्जी दस्तावेज और चालान दिखाए थे। भारत से लिनेन का कोई कंटेनर दक्षिण अफ्रीका नहीं आया। 2015 में लता को 50 हजार रैंड (2.68 लाख) की जमानत राशि पर छोड़ा गया था।

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