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क्लाइमेट चेंज समिट में बोले वर्ल्ड लीडर्स:मोदी बोले- महामारी से मिलकर ही लड़ा जा सकता है, बाइडेन ने कहा- कोई देश अकेले क्लाइमेट चेंज से नहीं निपट सकता

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क्लाइमेट चेंज पर वर्ल्ड लीडर्स समिट गुरुवार को शुरू हो गई है। इसका उद्घाटन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस समिट को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत नमस्कार से की और मानवता को बचाने के लिए सहभागिता पर जोर दिया। समिट के पहले सेशन की थीम ‘साल 2030 के लिए हमारी सामूहिक तेज दौड़’ रखी गई है। समिट में कुल 40 राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं। ये कार्यक्रम शुक्रवार को भी जारी रहेगा।

सहभागिता ही सबसे जरूरी
मोदी ने नमस्कार से शुरुआत करते हुए कहा- मैं बाइडेन का इस समिट के आयोजन के लिए शुक्रिया अदा करता हूं। मानवता इस वक्त महामारी के गंभीर संकट से गुजर रही है। इससे निपटने के लिए हमें ठोस कदम उठाने होंगे। इसमें क्लाइमेट चेंज सबसे अहम है। मैं राष्ट्रपति बाइडेन का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने क्लाइमेट चेंज के अहम मसले पर अहम पहल की है। महामारी के इस दौर में हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि क्लाइमेट चेंज का मुद्दा खत्म हो गया है। बल्कि इससे हमें संदेश मिलता है कि वक्त रहते हमें संभल जाना चाहिए। विकास की चुनौती के बीच भी इसका ध्यान रखना है। हमने सोलर अलायंस और डिजास्टर मैनेजमेंट पर काफी काम किया है। हम इसमें सहभागिता का प्रयास कर रहे हैं। ताकि दूसरे देशों को भी मदद कर सकें। बाइडेन और मैंने इस बारे में चर्चा की है। अगर हम इस बारे में गंभीरता से प्रयास करें तो दुनिया को आने वाले खतरों से बचा सकते हैं।

भारत ने सख्त और बड़े फैसले किए
मोदी ने आगे कहा- क्लाइमेट चेंज के चैलेंज से निपटने के लिए हम तेजी से और ठोस कदम उठाने होंगे। यह बड़े पैमाने और वैश्विक स्तर पर होना चाहिए। भारत इस मामले में अपने वादे पूरे कर रहा है और करता रहेगा। हमने 2030 तक रिन्यूअल एनर्जी का लक्ष्य 450 गीगावाट तय किया है। यह लक्ष्य तब रखा गया है कि जबकि भारत के सामने विकास की चुनौती भी है। इसके बावजूद भारत ने बड़े और मुश्किल फैसले किए हैं।

क्लाइमेट चेंज का अकेले मुकाबला संभव नहीं
इसके पहले, समिट की शुरुआत करते हुए जो बाइडेन ने कहा- अमेरिका ने कोयला और पेट्रोलियम के उपयोग से होने वाले नुकसान को देखते हुए इनके इस्तेमाल को 50 फीसदी कम करने का फैसला किया है। इससे चीन और दूसरे मुल्कों को सबक मिलेगा और वो भी ऐसे ही कदम उठाएंगे। दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं है, जो अकेले क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपट सके। इसके लिए मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य सुरक्षित हो सके।

भारत-चीन जैसे बड़े देशों की भूमिका अहम
बाइडेन ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले भाषण में इस समिट और क्लाइमेट चेंज के मुद्दे का जिक्र किया था। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि अगर ग्लोबल क्लाइमेट में सुधार लाना है तो भारत और चीन जैसी बड़े देशों और अर्थव्यवस्थाओं को अहम भूमिका निभानी होगी।

जिम कैरी ने तैयार किया था जिनपिंग को
चीन और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर तनातनी है। पहले माना जा रहा था कि जिनपिंग इस समिट में हिस्सा नहीं लेंगे। बाद में बाइडेन के पर्यावरण दूत जिम कैरी ने चीन के विदेश मंत्री से इस बारे में बातचीत की। इसके बाद तय हुआ कि जिनपिंग भी वर्चुअल समिट का हिस्सा होंगे।

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