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कोरोना की रोकथाम में भारत के प्रयासों की तारीफ / डब्ल्यूएचओ चीफ ने मुंबई के धारावी का उदाहरण देकर कहा- तेजी से कार्यवाही कर संक्रमण को नियंत्रित करना संभव है

एक अप्रैल को धारावी में कोरोना का पहला केस आया था। शुरुआती हफ्तों में धारावी में एक दिन में 100 से ज्यादा केस सामने आते थे। अब रफ्तार घटकर 2 केस प्रतिदिन रह गई है। डब्ल्यूएचओ चीफ गेब्रेयेसस ने कहा- इटली, स्पेन, दक्षिण कोरिया और मुंबई के धारावी में स्थिति खराब थी, तेजी से एक्शन ने स्थितियां बेहतर कीं डब्ल्यूएचओ का कहना है कि टेस्टिंग, ट्रेसिंग और आइसोलेटिंग पर फोकस करना अहम; दुनियाभर में कोरोना के 1.26 करोड़ मामले, लॉकडाउन की वजह से मुंबई से करीब 12 लाख लोगों ने पलायन किया, इन दिनों रोजाना करीब 15 हजार लोगों की हो रही वापसी देश की आर्थिक राजधानी में सिर्फ 30% दुकानें खुल रही हैं, मॉल और सिनेमा हॉल के बंद होने से रोज 500 करोड़ रु. का नुकसान

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जेनेवा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के चीफ टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसस का कहना है कि कोरोनावायरस को कंट्रोल करना अब भी संभव है। उन्होंने इटली, स्पेन, दक्षिण कोरिया और मुंबई के धारावी का उदाहरण देते हुए कहा कि इन जगहों पर स्थिति काफी खराब थी, लेकिन तेजी से कार्यवाही करने से कंट्रोल हो गई।

‘जहां पाबंदियां हट रहीं वहां संक्रमण बढ़ रहा’
डब्ल्यूएचओ चीफ का कहना है कि कम्युनिटी एंगेजमेंट, टेस्टिंग, ट्रेसिंग, आइसोलेटिंग और सभी बीमारों के इलाज पर फोकस कर कोरोना की चेन को तोड़ना और संक्रमण को खत्म करना संभव है। हर देश की कुछ लिमिट हैं। जहां पाबंदियां हट रही हैं, वहां संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं। ऐसे में सभी लोग एकजुटता और तेजी दिखाएं तो फायदा हो सकता है।

‘भीड़ वाले इलाकों में संक्रमण रोककर दूसरे लॉकडाउन से बच सकते हैं’
दूसरी तरफ डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रोग्राम के हेड डॉ. माइक रेयान का कहना है कि मौजूदा हालात में कोरोनावायरस को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल लग रहा है। हालांकि, भीड़ वाले इलाकों में संक्रमण को रोककर कोरोना की दूसरी लहर के सबसे खराब दौर और फिर से लॉकडाउन जैसी स्थिति से बचा जा सकता है।

दुनिया के 196 देशों में दिसंबर 2019 से अब तक कोरोना के 1.26 करोड़ केस आ चुके। अब तक 5.59 लाख लोगों की मौत हो चुकी। भारत में 8.21 लाख केस आए और 22 हजार लोगों की मौत हो गई।

 

मुंबई. मुंबई में 23 जून को कोरोना के 824 नए मामले आए थे। यह संख्या 40 दिन में सबसे कम रही। यहां कोरोना फैलने का एक नया ट्रेंड सामने आया है। अब कोरोना का कहर झुग्गी बस्तियों में कम हो रहा है, लेकिन पॉश इलाकों और हाउसिंग सोसाइटियों में पैर पसार रहा है।

संक्रमण फैलने की सबसे ज्यादा स्पीड बोरीवली के पॉश इलाकों में देखने को मिली। यहांं हर 16 दिन में मामले दोगुना हो रहे हैं, जबकि कभी सबसे ज्यादा प्रभावित रहे धारावी में अब 76 दिनों में मामले दोगुना हो रहे हैं। कोरोना टॉस्क फोर्स के प्रमुख डॉ. संजय ओक खुद कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। वे बताते हैं कि मुंबई में अब 13 दिन की जगह 37 दिन में मामले दोगुना हो रहे हैं। हालांकि, पहले 7 दिनों में 5% की दर से पॉजिटिव केस बढ़ रहे थे। अब यह कम होकर 1.88% हो गया है। हालांकि, संजय मानते हैं कि अभी आईसीयू की मांग बढ़ रही है।

कोरोना से लोगों को जागरूक करने के लिए प्रशासन पहल कर रहा है। मास्क पहनी हुई यह मूर्ति उसी पहल का हिस्सा है, जिसे बच्चा ध्यान से देख रहा है।

मुंबई में आईसीयू और वेंटिलेटर्स करीब-करीब फुल
मुंबई में 1219 आईसीयू हैं, जिसमें से सिर्फ 72 खाली हैं। वहीं वेंटिलेटर 701 है, जिसमें से सिर्फ 23 खाली हैं। मुंबई में अब तक 46 पुलिसकर्मी और नगर निगम के 70 कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो चुकी है। बीएमसी ने कंटेंनमेंट जोन की संख्या बढ़ाकर 770 कर दी है। 5932 से अधिक रिहायशी इमारतें और चॉल सील की गई हैं।

कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए प्रशासन ने बोरीवली, कांदीवली, मलाड और दहीसर इलाकों में लॉकडाउन लगाने का प्रस्ताव दिया है। इन इलाकों की आबादी लगभग 23 लाख है। बोरीवली रेड जोन में है। इसके पास का दहिसर ऑरेंज जाेन में है। श्री विश्वकर्मा चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से इन इलाकों में राहत सामग्री बांट रहे समाज सेवक रामा विश्वकर्मा कहते हैं कि बोरीवली में 7 दिन में 454 और दहिसर में 289 कोरोना संक्रमित मरीज बढ़े हैं। बोरीवली में 16 और दहिसर में 21 दिन में मरीजों की संख्या दोगुनी हो रही है।

बाेरीवली के राकांपा नेता मनीष दुबे कहते हैं कि लोगों की लापरवाही की वजह से यह इलाका रेड जोन में आ गया है। लॉकडाउन खुलते ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग भूल गए। वहीं भाजपा के पूर्व सांसद किरीट सोमैया आरोप लगाते हैं कि कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने वाले लोगों की जांच नहीं की जा रही है। मरीजों को बेड के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। रोजाना 5-10 लोगों की मौत घरों में हो रही है क्योंकि उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ही नहीं मिल रहे हैं।

मुंबई में 1219 आईसीयू हैं, जिसमें से सिर्फ 72 खाली हैं। वहीं वेंटिलेटर 701 है, जिसमें से सिर्फ 23 खाली हैं।

पूर्वी उपनगर में युवा ब्रिगेड एसोसिएशन के सलाहकार डॉ. बाबूलाल सिंह बताते हैं कि मुलुंड के इंद्रानगर और रामगढ़ जैसे स्लम इलाकों में 95% संक्रमित ठीक होकर घर आ गए हैं। मगर संक्रमण अब मुलुंड के पॉश इलाकों की बिल्डिंग में फैल रहा है। वजह शायद यह गलतफहमी है कि कोरोना सिर्फ स्लम में रहने वालों को होगा। लोग चोरी-छिपे सोसायटी के ग्राउंड फ्लोर पर इकट्‌ठा होते रहे और मौका मिलने पर इधर-उधर घूमने निकलने लगे।

नतीजा यह हुआ कि मुलुंड में जहां अप्रैल में सिर्फ 13 संक्रमित थे वहीं 13 जून को संख्या 1,454 तक जा पहुंची और अब 1870 केस हो गए हैं। यानी पिछले सात दिन में ही 416 नए संक्रमित मिले हैं। दूसरी तरफ मलाड में हालात कुछ सुधरे हैं। भाजपा नेता योगेश वर्मा बताते हैं कि मलाड कुछ दिन पहले तक रेड जोन में था। अभी-अभी ऑरेंज जोन में आया है। यहां की घनी आबादी वाले झुग्गी-झोपड़ी इलाकों में कुरार गांव, अप्पा पाड़ा, संतोषनगर, तानाजी नगर और सोमवारी बाजार में लॉकडाउन का सख्ती से पालन न होने की वजह से मरीजों की संख्या बढ़कर 3720 हो गई है, जबकि अप्रैल में यहां सिर्फ 59 संक्रमित थे।

मुंबई में मिशन जीरो, घर-घर स्क्रीनिंग
मुंबई नगर पालिका के आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने कर्मचारियों को ‘मिशन जीरो’ लक्ष्य दिया है। इसके तहत घर-घर स्क्रीनिंग की जाएगी। इस मिशन के तहत डॉक्टर, नर्स और दवाइयों के साथ 50 मोबाइल डिस्पेंसरी वैन मुलुंड, भांडुप, अंधेरी, मलाड, बोरीवली, दहिसर और कांदिवली में जाकर लोगों की जांच करेंगे। चहल ने भास्कर को बताया कि पिछले सप्ताह मुंबई जिले में कोरोना की ग्रोथ रेट 1.88% रही है। जबकि रिकवरी रेट 50% है। यही वजह है कि अब ‘मिशन जीरो’ के तहत मुंबई को कोरोना मुक्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। हालांकि वे बताते हैं कि मानसून की वजह से चुनौतियां बढ़ गई हैं।

मुंबई में अभी लोकल ट्रेनें 340 फेरे लगा रही हैं। इनसे रोजाना करीब 1 लाख 20 हजार लोग यात्रा कर रहे हैं।

लाइफलाइन के पहिए थमे, लेकिन 2786 बसें दौड़ रहीं
कोरोना ने मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनों पर भी असर डाला है। मध्य रेलवे में कोरोना महामारी से पहले लोकल ट्रेनें तकरीबन 1774 फेरे लगाती थीं, जिनसे रोजाना 43 लाख यात्री सफर करते थे। लेकिन फिलहाल ये लोकल ट्रेनें सिर्फ 200 फेरे लगा रही हैं, जिनमें लगभग 70-80 हजार लोग सफर कर रहे हैं।

इसी तरह पश्चिम रेलवे की लोकल ट्रेनों के 1300 फेरे लगते थे, जिससे करीब 35 लाख लोग सफर करते थे। लेकिन इन दिनों 140 फेरे ही लगा रही हैं। इनमें 40-45 हजार लोग रोजाना सफर कर रहे हैं।

पहले जहां 1200 यात्री क्षमता वाले एक डिब्बे में 2000 लोग सफर करते थे, वहीं अब सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सिर्फ 700 को ही सफर की इजाजत दी जा रही है। हालांकि, लोकल बसों पर अब कम असर देखने मिल रहा है। मुंबई मनपा के बेडे में यूं तो साढ़े तीन हजार से अधिक बसें हैं। इनमें से 2786 बसें चल रही हैं। इनमें रोजाना लगभग ढ़ाई लाख लोग सफर कर रहे हैं। 9 जून से अब तक बेस्ट की बसों से कुल 7.78 लाख लोगों ने सफर किया है जबकि मेट्रो अभी शुरू नहीं की गई है।

मुंबई की लोकल ट्रेनों में यात्री सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए यात्रा कर रहे हैं।

दुकानें, मॉल और सिनेमा हॉल को रोजाना 500 करोड़ का नुकसान
फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के विरेन शाह के मुताबिक, लॉकडाउन से अब तक मुंबई की दुकानें, मॉल और सिनेमा हॉल के बंद होने से रोजाना 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। जहां तक दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खुलने का मामला है तो शाह के मुताबिक, मुंबई की कुल साढ़े तीन लाख दुकानों में से महज 30% ही रोजाना खुल रही हैं। इन प्रतिष्ठानों में सोशल डिस्टेंसिंग का सख्त पालन हो रहा है।

मुंबई के झवेरी बाजार में कुल तीन हजार के करीब ज्वेलरी की दुकानें हैं, इनमें से इन दिनों एक हजार दुकानें ही खुल रही हैं। सरकारी ऑफिसों की बात करें, 25 से 50% कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि प्राइवेट दफ्तरों में यह संख्या 10-15% है।

मुंबई की कुल साढ़े तीन लाख दुकानों में से महज 30% ही रोजाना खुल रही हैं।

मायानगरी में बड़ी फिल्मों की शूटिंग नहीं
फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) और सिने एंड टेलीविजन आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (सिंटा) के मुताबिक मायानगरी में इन दिनों बड़ी फिल्मों की शूटिंग नहीं हो रही। लॉकडाउन के दौरान एसोसिएशन ने 50 लाख का बीमा कवर, 8 घंटे की शिफ्ट और कर्मचारियों का भुगतान शूटिंग खत्म होते ही उसी दिन करने जैसी मांगें रखी थीं, जो अब तक पूरी नहीं हुई है। इसलिए दोनों एसोसिएशन मांगें पूरी होने तक शूटिंग में हिस्सा नहीं लेंगे।

12 लाख प्रवासी घर गए, अब 15 हजार रोजाना लौट रहे हैं
महाराष्ट्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना और लॉकडाउन की वजह से मुंबई से करीब 12 लाख से अधिक लोगों ने पलायन किया था। इन दिनों मुंबई में रोजाना करीब 11 से 15 हजार प्रवासी मजदूरों की वापसी हो रही है। इसमें राज्य के अलग-अलग जिलों के मजदूरों के अलावा यूपी-बिहार के लोग भी शामिल हैं।

केंद्र सरकार का अनुमान था कि मुंबई में मई के आखिरी सप्ताह में 75 हजार तक कोरोना के केस होंगे लेकिन मई में यह आंकड़ा 39 हजार 500 रहा और 22 जून को 67 हजार पार कर गया है। यानी मामले उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहे हैं। इसलिए अब मुंबई के अस्पतालों में पहले की तरह भीड़ नहीं दिख रही है।

इन दिनों मुंबई में रोजाना करीब 11 से 15 हजार प्रवासी मजदूरों की वापसी हो रही है।

मुंबई का मनपा अस्पताल जबरन कोरोना मरीजों को प्राइवेट अस्पताल भेज रहा है। क्योंकि, प्राइवेट अस्पतालों में एक हजार नए बेड उपलब्ध होने की बात उन्हें दिखानी है। इन प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होने वाले सामान्य मरीजों से मनमाना बिल वसूला जा रहा है। इसके पीछे वजह है यह है कि प्राइवेट अस्पतालों में सिर्फ बेड चार्ज ही सरकार ने तय किया है। बड़े अस्पताल मनमाने ढंग से दूसरे चार्ज लगाकर औसतन एक मरीज का बिल 5 लाख रुपए तक रहे हैं। यहां 26 अस्पतालों के खिलाफ 134 शिकायतें आई हैं।

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एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी से राहत भरी खबर / चेस द वायरस और ट्रिपल टी एक्शन प्लान से धारावी में कोरोना पर काबू पाने में कामयाबी मिली

  • एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में पहला मामला एक अप्रैल को आया था। इसके बाद के हफ्तों में हर दिन करीब 100 मरीज मिले। अब यह संख्या 2 हो गई है। यहां लगातार सैनिटाइजेशन किया गया। (फाइल)एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में पहला मामला एक अप्रैल को आया था। इसके बाद के हफ्तों में हर दिन करीब 100 मरीज मिले। अब यह संख्या 2 हो गई है। यहां लगातार सैनिटाइजेशन किया गया। (फाइल)
  • कोरोना से लड़ने के लिए बीएमसी ने ट्रिपल टी यानी ‘ट्रेस-टेस्ट-ट्रीटमेंट’ के फॉर्मूले का इस्तेमाल किया
  • धारावी में स्कूल और कॉलेज को क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया, मेडिकल स्टाफ को तीन वक्त का खाना दिया गया

मुंबई. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ के चीफ टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसस ने कोरोनावायरस कंट्रोल को लेकर मुंबई के धारावी की मिसाल दी। उनके मुताबिक, धारावी में स्थिति काफी खराब थी, लेकिन तेजी से कार्यवाही करने से कंट्रोल हो गई। गेब्रेयेसस के मुताबिक, कम्युनिटी एंगेजमेंट, टेस्टिंग, ट्रेसिंग, आइसोलेटिंग और सभी बीमारों के इलाज पर फोकस कर कोरोना की चेन को तोड़ना और संक्रमण को खत्म करना संभव है। यहां जानते हैं कि मुंबई के धारावी में आखिर किन तरीकों का इस्तेमाल करके संक्रमण पर काबू पाया गया।

ट्रिपल टी प्लान रहा सबसे कारगर
6 लाख से ज्यादा आबादी वाली एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी में कोरोना से लड़ने के लिए बीएमसी की ओर से ट्रिपल टी यानी ट्रेस-टेस्ट-ट्रीटमेंट के फॉर्मूले का इस्तेमाल किया गया। इसका इस्तेमाल कर दक्षिण कोरिया लगभग पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो चुका है।

चेस द वायरस: एक्शन प्लान
धारावी मुंबई के जी-नॉर्थ वॉर्ड में आता है। यहां के असिस्टेंट कमिश्नर किरण दिघावकर के मुताबिक, धारावी के लिए चेस द वायरस नाम से एक एक्शन प्लान बनाया गया था। इसमें घने इलाकों की स्क्रीनिंग, फीवर क्लिनिक की स्थापना, सर्वे और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग शामिल है।

ट्रेस कर लोगों को क्वारैंटाइन किया गया
बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने हर झुग्गी में जाकर लोगों की स्क्रीनिंग की। लक्षण वाले लोगों को आइसोलेट करना और टेस्ट करना शुरू किया। यहां के स्कूल, कॉलेज को क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया। यहां लगातार डॉक्टर, नर्स और 3 टाइम का खाना दिया गया। अब तक तकरीबन 12 हजार लोगों को इंस्टिट्यूशनल क्वारैंटाइन किया गया है। कुल 12 क्वारैंटाइन सेंटर बनाए गए थे, उनमें से 3 मरीज कम होने के बाद बंद हो गए हैं।

तकरीबन ढाई हजार लोगों की टीम यहां तैनात थी
धारावी के लिए बीएमसी 2450 लोगों की एक टीम तैनात की थी। जो लोगों को ट्रेस करने, टेस्ट करने और ट्रीटमेंट करने का काम कर रही थी। इसमें इसमें डॉक्टर, नर्स के साथ-साथ सैनिटाइजेशनवाले और सफाईकर्मी भी शामिल थे। इसके साथ 1250 लोगों की कॉन्ट्रेक्ट मेडिकल टीम भी यहां जुटी हुई थी। ये ज्यादातर लोगों की स्क्रीनिंग का काम करते थे।

टॉयलेट पर फोकस
संक्रमण बढ़ने का सबसे बड़ा करण यहां के सार्वजनिक शौचालय को माना गया। जिसे तकरीबन 80% लोग इस्तेमाल करते हैं। यहां तकरीबन 450 परमानेंट टॉयलेट्स हैं। बीएमसीकर्मियों ने इन्हें दिन में 5 से 6 बार सैनिटाइज करना शुरू किया। हर टॉयलेट के बाहर हैंडवाश रखा जाता था। प्राइवेट कंपनियों की सहायता से यहां फ्री में हाथ धोने का साबुन बांटा गया।

पहले दिन में आते थे 100 से ज्यादा केस, अब सिर्फ 2 केस
एक अप्रैल को धारावी में पहला मामला सामने आया था। इसके बाद हर हफ्ते करीब 100 केस सामने आए। अब यह संख्या बिल्कुल निचले स्तर पर आकर 2 हो गई है।

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