कांग्रेस में राहुल की ताजपोशी का रास्ता साफ:सोनिया को चिट्ठी लिखने वाले आजाद की महासचिव पद से छुट्टी, दिग्विजय की CWC में वापसी; पायलट पर फैसला बाद में होगा
गुलाम नबी आजाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी की लीडरशिप में बदलाव की मांग की थी। 7 अगस्त को सोनिया को लिखी गई चिट्ठी में ऐसी ‘फुल टाइम लीडरशिप’ की मांग की गई थी, जो ‘फील्ड में एक्टिव रहे’ पिछली बार CWC की मीटिंग में राहुल गांधी के एक कथित बयान का विरोध करने वालों में गुलाम नबी आजाद सबसे आगे थे
राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष पद पर दोबारा ताजपोशी का रास्ता खुद सोनिया गांधी ने ही साफ कर दिया है। सोनिया ने बतौर अंतरिम अध्यक्ष पार्टी संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए राहुल की पसंदीदा टीम को मौका दिया है और महासचिव पद से बुजुर्ग नेताओं की छुट्टी कर दी है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी का नए सिरे से गठन किया गया है। नया अध्यक्ष चुनने में सोनिया की मदद के लिए 6 नेताओं की नई कमेटी बनाई गई है।
हालांकि, गुलाम नबी आजाद, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे को नई सीडब्ल्यूसी में बरकरार रखा गया है। दिग्विजय सिंह को सीडब्ल्यूसी में परमानेंट इनवाइटी में शामिल किया गया है।
गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और लुइजिन्हो फैलेरियो को महासचिव पद से हटा दिया गया है। इनमें से गुलाम नबी उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को 7 अगस्त को तब चिट्ठी लिखी थी, जब वे अस्पताल में भर्ती थीं। इस चिट्ठी में इन नेताओं ने पार्टी में ऐसी ‘फुल टाइम लीडरशिप’ की मांग की थी, जो ‘फील्ड में एक्टिव रहे और उसका असर भी दिखे’।
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि फुलटाइम लीडरशिप और फील्ड में असर दिखाने वाली एक्टिवनेस जैसे शब्दों का इस्तेमाल इस तरफ इशारा कर रहा था कि कांग्रेस का यह गुट दोबारा राहुल गांधी की ताजपोशी नहीं चाहता था। अब तक पुरानी टीम से ही काम चलाती आ रहीं सोनिया गांधी ने इसी ‘लेटर बम’ के बाद शुक्रवार को संगठन, कार्यसमिति और महासचिव पदों पर नई नियुक्तियां कर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। (भास्कर ने 25 अगस्त को ही बताया था कि चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को किनारे किया जाएगा, पढ़ें इनसाइड स्टोरी)
दिग्विजय की 2 साल बाद CWC में वापसी
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की कांग्रेस वर्किंग कमेटी में दो साल बाद वापसी हुई है। वहीं, हाल ही में राजस्थान में पार्टी से बगावत कर चुके सचिन पायलट को अभी कूलिंग ऑफ पीरियड में रखा गया है। उन्हें पार्टी में क्या जिम्मेदारी दी जाए, इसका फैसला बाद में होगा।
सबसे बड़ा झटका आजाद को
गुलाम नबी आजाद को सबसे बड़ा झटका लगा है, क्योंकि वे राज्यसभा में अभी विपक्ष के नेता भी हैं। पिछली बार सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में राहुल गांधी के एक कथित बयान का विरोध करने वालों में गुलाम नबी सबसे आगे थे। माना जा रहा है कि उन्हें अब राज्यसभा का दोबारा टिकट मिल पाना भी मुश्किल है।
संचालन समिति में 6 नेता, यही समिति आगे का रास्ता तय करेगी
सोनिया ने पार्टी नेतृत्व में बदलाव के लिए एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया था। इसके लिए 6 नेताओं की कमेटी बनाई गई है। इसे संचालन समिति कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि यही कमेटी अब राहुल गांधी की ताजपोशी और पार्टी संगठन में नए बदलावों का रास्ता साफ करेगी।
इस कमेटी में सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद अहमद पटेल और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक को शामिल किया गया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को सबसे बड़ा प्रमोशन मिला है। वे महासचिव बनाए गए हैं और इस कमेटी में शामिल िकए गए हैं। उम्र की वजह से महासचिव पद से हटाई गईं अंबिका सोनी को भी इस कमेटी में जगह मिली है।
उम्र की वजह से ये 4 नेता हटाए गए
- मोतीलाल वोरा: ये गांधी परिवार के सबसे भरोसमंद नेताओं में से एक हैं। वे 18 साल पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे। अब 92 साल के हो गए हैं।
- अंबिका सोनी: केंद्रीय मंत्री रही हैं। सोनिया गांधी की भरोसेमंद हैं। 77 साल उम्र हो चुकी है।
- मल्लिकार्जुन खड़गे: पिछली लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे। 2019 में चुनाव हार गए। 78 साल के हो चुके हैं।
- लुईजिन्हो फलेरियो: गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। 69 साल उम्र है।
राहुल के लिए रास्ता साफ कैसे, इसे इस तरह समझें
1. CWC की बैठक में ही मिल गए थे संकेत
23 नेताओं की चिट्ठी की टाइमिंग पर राहुल ने सवाल उठाया था और कथित तौर पर कहा था कि यह भाजपा की मिलीभगत से हुआ। इस पर गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने खुलकर विरोध किया। हालांकि, बाद में सिब्बल ने अपना ट्वीट और आजाद ने अपना इस्तीफे वाला बयान वापस ले लिया।
2. बैठक में ही बैकफुट पर कर दिए गए थे चिट्ठी लिखने वाले
सवाल उठता है कि जब राहुल के बयान के बारे में पार्टी नेता कन्फर्म ही नहीं थे, तो उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी क्यों जाहिर की?
दरअसल, सीडब्ल्यूसी की बैठक में 51 नेता शामिल हुए, लेकिन इनमें सोनिया को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की संख्या सिर्फ 4 थी। उन्हें बैकफुट पर कर दिया गया। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि बिखराव रोकने और डैमेज कंट्रोल के तहत इन नेताओं से बयान वापस लेने को कहा गया। अंबिका सोनी जैसे कुछ नेताओं ने सोनिया से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर डाली।
3. अध्यक्ष पद पर आगे क्या होगा?
सोनिया गांधी अभी अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि अगले साल की शुरुआत में पंजाब या छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सत्र होगा। इसमें राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष चुना जाना तय है।