कश्मीर पर मोदी का मंथन LIVE:गुपकार नेताओं के साथ थोड़ी देर में PM आवास पर बैठक; जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का रोडमैप तैयार किया जाएगा
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के करीब 2 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को राज्य के 14 दलों के नेताओं के साथ मीटिंग करने वाले हैं। मीटिंग थोड़ी देर में शुरू होगी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत गुपकार अलायंस के बड़े नेता भी मौजूद रहेंगे। इसमें जम्मू-कश्मीर से राजनीतिक गतिरोध खत्म करने और चुनाव कराने का रोडमैप तैयार किया जा सकता है।
इससे 3 घंटे पहले गृह मंत्री अमित शाह PM मोदी के घर पहुंचे और कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा की। माना जा रहा है कि इस दौरान मोदी की कश्मीर के नेताओं के साथ होने वाली मीटिंग के एजेंडे पर बात हुई। वहीं, कश्मीर के नेताओं के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की पार्टी मुख्यालय पर अहम मीटिंग हुई।
इसमें कश्मीर के बीजेपी नेताओं को पार्टी नेतृत्व की तरफ से जो निर्देश मिले हैं वो पीएम के साथ सर्वदलीय बैठक में रखे जाएंगे। इस बैठक में रविन्द्र रैना, कवींद्र गुप्ता, निर्मल सिंह और मंत्री जितेंद्र सिंह शामिल हुए थे। उधर गुलाम नबी आजाद के घर चल रही कांग्रेस नेताओं की बैठक भी खत्म हो गई है।
महबूबा के पाकिस्तान वाले बयान पर बवाल
इस बीच महबूबा के पाकिस्तान से बातचीत वाले बयान पर बवाल शुरू हो गया है। जम्मू में डोगरा फ्रंट ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि महबूबा को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। इसके लिए उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए।
महबूबा-फारूक दिल्ली में
इससे पहले बैठक में शामिल होने के लिए फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती दिल्ली पहुंचे। इस दौरान महबूबा ने कहा कि वो खुले दिल से चर्चा करेंगी। हालांकि, इसी हफ्ते उन्होंने ये भी कहा था कि आर्टिकल 370 को वापस देना चाहिए और जम्मू-कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान से बात करनी चाहिए।
#WATCH | Jammu & Kashmir: National Conference chief Farooq Abdullah leaves his residence in Srinagar to participate in the all-party meeting called by PM Narendra Modi today pic.twitter.com/dpo26oQm76
— ANI (@ANI) June 24, 2021
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7 पॉइंट में समझिए मीटिंग की अहमियत
- बैठक में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा हो सकती है। 2018 के बाद जम्मू-कश्मीर में कोई चुनी हुई सरकार नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव, 2020 के DDC चुनाव में जम्मू-कश्मीर ने हिस्सा लिया था।
- बुधवार को ही चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के मसले पर एक मीटिंग की है। जानकारी के मुताबिक, मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के करीब 20 डिप्टी कमिश्नर शामिल हुए थे।
- जम्मू-कश्मीर को अलग केंद्रीय शासित प्रदेश बनाने के साथ ही यहां विधानसभा सीटें बढ़ाई गई हैं। अभी यहां 114 सीटें हैं, जिनमें से 24 PoK की हैं। यानी मौजूदा वक्त में चुनाव के लिए करीब 90 सीटें होंगी।
- इस बैठक में सिर्फ जम्मू-कश्मीर के आंतरिक मसले ही नहीं, बल्कि इससे जुड़े कुछ बाहरी मसलों पर चर्चा हो सकती है। इनमें अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं का हटना, लद्दाख में चीनी सैनिकों का लगातार परेशानी बढ़ाने जैसे मसले शामिल हैं।
- मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के 14 दलों के नेताओं को बुलाया गया है। गुपकार ग्रुप ने बीते दिनों ही मीटिंग कर ये फैसला लिया था कि वो भी मीटिंग में शामिल होंगे। इनमें फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन जैसे नाम शामिल हैं।
- गुपकार ग्रुप के अलावा कांग्रेस और भाजपा के प्रतिनिधि भी इस मीटिंग में शामिल होंगे। कांग्रेस ने मनमोहन सिंह की अगुवाई में एक मीटिंग कर इसमें शामिल होने का निर्णय लिया था।
- मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी के साथ गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, NSA अजित डोभाल समेत अन्य कुछ अधिकारी शामिल होंगे।
2019 से जारी है राजनीतिक अस्थिरता
5 अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेट्स को खत्म कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। उसके बाद से राजनीतिक हालात अस्थिर हो गए थे। ज्यादातर बड़े नेता नजरबंद रहे। कुछ को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत जम्मू और कश्मीर के बाहर जेलों में भेज दिया गया। अब मोदी की मुलाकात को केंद्र की ओर से जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत कायम करने के लिए सभी दलों से बात करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
कश्मीर घाटी से ग्राउंड रिपोर्ट:कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद क्या बदला, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और रोजगार के साथ इस बार बर्फबारी में भी मिली पूरी बिजली
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के करीब 2 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को राज्य के 14 दलों के नेताओं के साथ मीटिंग करने वाले हैं। मीटिंग में जम्मू-कश्मीर से राजनीतिक गतिरोध खत्म करने पर बातचीत हो सकती है। इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा देने के विषय पर चर्चा होने की संभावना जताई ता रही है।
5 अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेट्स को खत्म कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। उसके बाद से राजनीतिक हालात अस्थिर हो गए थे। ज्यादातर बड़े नेता नजरबंद रहे। कुछ को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत जम्मू और कश्मीर के बाहर जेलों में भेज दिया गया।
अब मोदी की मुलाकात को केंद्र की ओर से जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत कायम करने के लिए सभी दलों से बात करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पढ़ें, आर्टिकल 370 हटाए जाने के करीब 2 साल बाद राज्य में क्या बदलाव आएं…
3 अगस्त 2019 को क्या-क्या बदला
अनुच्छेद 370 को हटाए जाने से ठीक 2 दिन पहले केंद्र सरकार ने बाहरी लोगों को कश्मीर छोड़ने का निर्देश जारी किया। इसके बाद हजारों पर्यटक, प्रवासी श्रमिक और छात्र कश्मीर छोड़कर चले गए। बंदिशों के कारण करीब 5.20 लाख पर्यटकों का आना-जाना प्रभावित हुआ। सैकड़ों कारीगर, कैब ड्राइवर, खुदरा विक्रेता और निजी क्षेत्र के कर्मचारी बेरोजगार हो गए।
दिसंबर 2019 में कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (KCCI) ने अपनी एक इकोनॉमिकल रिपोर्ट में बताया कि, कश्मीर की अर्थव्यवस्था को 17,800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 2019 में अगस्त और अक्टूबर के बीच 4.9 लाख नौकरियां चली गईं। यह राज्य के लिए बहुत बड़ा झटका था।
सरकार का इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर फोकस
केंद्र शासित सरकार ने राज्य के इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर फोकस किया है। इसके तहत वित्त वर्ष 2021-22 में 4545.06 करोड़ रुपए की 1235 परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा 7110.78 करोड़ रुपए की कुल 2357 स्वीकृत परियोजनाओं में से 1555.16 करोड़ रुपए की 1100 परियोजनाएं भी पूरी कर चुकी है।
कश्मीरी कला और शिल्प को जीवित करने के प्रयास शुरू
देश के ऊनी शॉल के कुल निर्यात में जम्मू-कश्मीर का योगदान 80% है। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में स्वीकृत नई औद्योगिक विकास योजना में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है। स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को उनकी आजीविका सृजन के साथ-साथ पुराने शिल्प को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार कश्मीरी कालीन, लकड़ी की नक्काशी, नमदा शिल्प, फूल कारी, बसोहली पेंटिंग, ट्वीड फैब्रिक, चिकरी शिल्प आदि की जीआई टैगिंग पर काम कर रही है ताकि इन उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में उपलब्ध कराया जा सके। जम्मू-कश्मीर के हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों को अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे वैश्विक मंच प्रदान किए गए हैं।
युवाओं की शिक्षा और रोजगार बढ़ाने के लिए
सरकार जम्मू-कश्मीर के युवाओं तक पहुंचने के लिए भी कदम उठा रही है। जम्मू-कश्मीर की प्रत्येक पंचायत में युवा पीढ़ी की सभी चिंताओं को दूर करने के लिए एक यूथ क्लब होगा। पहले चरण में 4290 पंचायतों के 22,500 युवाओं को लगाया जाएगा। सरकार इस पहल पर 12 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
सिविल सेवा, अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग प्रदान करने के लिए जम्मू और श्रीनगर में दो अत्याधुनिक कोचिंग सेंटर जल्द ही शुरू होंगे। सरकार विशेष रूप से तैयार स्वरोजगार योजना के माध्यम से डेंटल सर्जन, पैरामेडिक्स को वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगी।
बैक टू विलेज प्रोग्राम के तहत 50 हजार युवाओं पर फोकस
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि राज्य की महत्वाकांक्षी बैक टू विलेज प्रोग्राम के अगले फेज में सरकार 50 हजार युवाओं पर फोकस कर रही है। इस कार्यक्रम के तहत ऐसे युवाओं को रोजगार के लिए वित्तिय सहायता दी जाएगी। इसका प्लान जल्द ही सबके सामने होगा। इसके साथ ही हमने 25 हजार नौकरियों का वादा किया था।
अब तक विभिन्न विभागों में भर्ती के लिए 18,000 पदों के विज्ञापन जारी किए गए हैं। अधिक पदों की पहचान की जा रही है। सिन्हा ने बताया कि हम जम्मू-कश्मीर के लोगों खासकर युवाओं को सशक्त बनाना चाहते हैं। यहां पहली बार जमीनी स्तर पर लोकतंत्र फल-फूल रहा है। निर्णय लेने की प्रक्रिया में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि युवाओं को अधिक से अधिक अवसर मिले।
3500 मेगावाट की परियोजनाओं पर काम शुरू
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि आर्थिक संकट के बावजूद भी राज्य में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए हर साल 3,500 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। प्रदेश में ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क और प्रोडक्शन कैपसिटी को मजबूत करने के लिए 24 घंटे काम हो रहा है।
इसका परिणाम सर्दियों के दौरान दिखाई दिया, जब पहली बार कश्मीर घाटी में लोगों को बर्फ के दौरान भी निर्बाध बिजली आपूर्ति हुई थी। अगले 4 साल के भीतर राज्य में 3500 मेगावाट की परियोजनाएं जमीन पर होंगी।
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एक बड़ी चिंता
5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर से स्पेशल स्टेटस वापस लेने के बाद यहां की आतंरिक सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके तहत संघर्ष विराम उल्लंघन और घुसपैठ की कोशिशों में कमी आई है। कई आतंकवादी और उनके कमांडरों का सफाया हुआ है। हालांकि, सुरक्षा बलों और राजनीतिक दलों के नेताओं पर हमला चिंता का विषय है।
जून की बड़ी आतंकी घटनाएं
- 22 जून को नौगाम में दो आतंकियों ने पिस्टल से एक पुलिस इंस्पेक्टर परवेज अहमद डार की हत्या कर दी।
- 17 जून को आतंकवादियों ने श्रीनगर के सैदपोरा में एक पुलिस कांस्टेबल की उसके घर के पास हत्या कर दी थी।
- 2 जून को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल में आतंकवादियों ने नगर पार्षद राकेश पंडिता की हत्या कर दी।