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इंदौर लगातार चौथे साल सबसे साफ शहर:10 सबसे साफ शहरों में गुजरात के 4 शहर, भोपाल 7वें नंबर पर; बनारस बेस्ट गंगा टाउन घोषित

ऑनलाइन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ इंदौर कलेक्टर, निगमायुक्त ने अवॉर्ड लिया इंदौर में आज शाम हर घर में दीये जलाए जाएंगे, सांसद की अपील- कल सफाईकर्मियों का सम्मान करें

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सफाई के मामले इंदौर लगातार चौथी बार नंबर-1 बन गया है। दूसरे नंबर पर गुजरात का सूरत और तीसरे नंबर महाराष्ट्र का नवी मुंबई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी को बेस्ट गंगा टाउन घोषित किया गया है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 लीग के तीनों क्वार्टर में भी इंदौर अव्वल रहा था। दैनिक भास्कर ने इंदौर के चौका लगाने का खुलासा दो दिन पहले ही कर दिया था।

यह फोटो भास्कर के 26 दिसंबर 2019 के इंदौर एडिशन में छपा था। यह इंदौर की सफाई की बानगी है। यहां की ग्रेटर कैलाश रोड पर अटलजी की जयंती (25 दिसंबर) सड़क पर खाना खाते लोग। ग्रेटर कैलाश रोड को प्रदेश की पहली मॉडल सड़क बताया जाता है।
यह फोटो भास्कर के 26 दिसंबर 2019 के इंदौर एडिशन में छपा था। यह इंदौर की सफाई की बानगी है। यहां की ग्रेटर कैलाश रोड पर अटलजी की जयंती (25 दिसंबर) सड़क पर खाना खाते लोग। ग्रेटर कैलाश रोड को प्रदेश की पहली मॉडल सड़क बताया जाता है।

देश के 10 सबसे साफ शहर

रैंक शहर स्कोर
1 इंदौर 5647.56
2 सूरत 5519.59
3 नवी मुंबई 5467.89
4 विजयवाड़ा 5270.32
5 अहमदाबाद 5207.13
6 राजकोट 5157.36
7 भोपाल 5066.31
8 चंडीगढ़ 4970.07
9 विशाखापट्टनम 4918.44
10 वडोदरा 4870.34

10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 47 शहरों में ये 10 सबसे गंदे

रैंक शहर स्कोर
1 पटना 1552.11
2 पूर्वी दिल्ली 1962.31
3 चेन्नई 2010.93
4 कोटा 2051.88
5 उत्तरी दिल्ली 2169.25
6 मदुरई 2255.81
7 मेरठ 2314.59
8 कोयंबटूर 2337.12
9 अमृतसर 2459.31
10 फरीदाबाद 2646.69

देश में जालंधर कैंट सबसे साफ

  • 100 से ज्यादा अर्बन लोकल बॉडी वाले राज्यों में पहला स्थान छत्तीसगढ़ को मिला।
  • 100 से कम अर्बन लोकल बॉडी वाले राज्यों में पहला स्थान पर झारखंड रहा।
  • भारत के सबसे क्लीनेस्ट कैंट एरिया में पहला स्थान जालंधर को मिला।
  • 1 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में सबसे ज्यादा लोगों ने सर्वे में भाग लिया।
  • 1 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में उत्तराखंड के नंदप्रयाग में सबसे ज्यादा लोगों ने सर्वे में भाग लिया।
  • 1 लाख से कम आबादी वाले शहरों में टॉप 3 में महाराष्ट्र के कराड़, सासवड़ और लोनावला रहे।

इंदौर ने सिटिजन फीडबैक, वेस्ट रिडक्शन, रेवेन्यू कलेक्शन के बूते बाजी मारी

भास्कर ने वे तीन कारण निकाले, जिस पर रैंकिंग का पूरा दारोमदार था। इस बार की रैंकिंग पिछले सभी सालों से ज्यादा चुनौतीपूर्ण इसलिए भी थी, क्योंकि सफाई को सालभर में तीन क्वार्टर में बांटा गया था।
सिटिजन फीडबैक: इंदौर के लोगों ने स्वच्छता को न सिर्फ सराहा, बल्कि उनके जवाबों के कारण इंदौर फिर नं. 1 बन सका। इसका मतलब यह कि जो शहर दावा कर रहा है उसकी सच्चाई लोग ही बताएंगे। दूसरे शहरों ने तो खुद को बहुत ही अच्छा और साफ बताया, लेकिन लोगों ने निगेटिव फीडबैक दिया।

वेस्ट रिडक्शन: लोगों ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैन किया। डिस्पोजल के स्थान पर बर्तन बैंक और थैलियों के विकल्प में झोला बैंक शुरू किया।

रेवेन्यू कलेक्शन: इंदौर ने कचरा प्रबंधन शुल्क के 40 करोड़ वसूले। यह वह शिखर था जिसे कोई दूसरा शहर छू भी नहीं सका। यहां तक नं. 2 रहे भोपाल में भी कचरा प्रबंधन शुल्क 15 करोड़ से ज्यादा नहीं बताया गया।

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